डिजीटल डेस्क : Hemant Soren की भाजपा को नया झटका देने की तैयारी, चंपई की वापसी पर मंथन। झारखंड की सियासत में जेएमएम (झारखंड मुक्ति मोर्चा) दो नए रिकार्ड बनाते हुए दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा करने वाली भाजपा को जबरदस्त धूल चटाया।
सत्ता में रहते हुए विधानसभा चुनाव में फिर से बहुमत के आंकड़े को आसानी से जनमत के द्वारा हासिल करने का रिकार्ड बनाने के साथ Hemant Soren ने झारखंड का चार बार सीएम बनने का नया रिकार्ड भी बनाया है। इसी के साथ अब सियासी बाजीगरी दिखाने के क्रम में एक और बड़ी सुगबुहाट Hemant Soren के खेमे से भाजपा के खिलाफ दिखने लगी है।
भाजपा को मूलवासी-आदिवासी गढ़ में पूरी तरह से शून्य करने अब जेएमएम के संस्थापक सदस्य रहे पूर्व सीएम चंपाई सोरेन की घर वापसी पर गंभीरता से मंथन जारी है।
Hemant Soren ने भी अपना रहे ममता बनर्जी वाला फार्मूला
Hemant Soren के करीबी जेएमएम के रणनीतिकारों के मुताबिक, इस कार्ययोजना को पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की रणनीति से अपनाया गया है। वर्ष 2021 में पश्चिम बंगाल में सरकार में रहते हुए फिर से सत्ता में वापसी करने के साथ ही ममता बनर्जी ने भाजपा को एक के बाद एक कई झटके दिए।
उसके लिए ममता बनर्जी ने अपनी खास रणनीति के तहत चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस छोड़ भगवा खेमे गए नेताओं की फिर से तृणमूल में गर्मजोशी से वापसी कराना शुरू किया था। अब झारखंड में Hemant Soren की अगुवाई में जेएमएम भी उसी राह पर बढ़ने की तैयारी में है।
Hemant Soren जेएमएम के उन नेताओं को वापस लाने के मंथन में जुटे हैं जो चुनाव से पहले पार्टी छोड़ गए थे। उसी क्रम में तैयारी नेताओं की सूची में कोल्हान टाइगर के नाम से मशहूर पूर्व सीएम चंपई सोरेन सबसे टॉप पर हैं।
एक खास बात यह कि संपन्न हुए चुनाव में प्रचार के दौरान भी Hemant Soren चंपई पर हमलावर नहीं रहे तो दूसरी ओर पूरे चुनाव में चंपई सोरेन भी Hemant Soren और उनके परिवार पर निजी हमला करने से बचते रहे।
चंपाई सोरेन के घर वापसी के लिए जेएमएम में मंथन के कई सियासी कारण…
संपन्न हुए झारखंड विधानसभा चुनाव में एनडीए या यूं कह लें भाजपा का सरायकेला को छोड़ पूरे आदिवासी बहुल क्षेत्र में सफाया हो गया। कोल्हान टाइगर के रूप में झारखंड की राजनीति में अपनी अलग साख रखने वाले चंपई सोरेन के साथ जो सबसे बड़ा परिचय जुड़ा हुआ है, वह यह है कि चंपाई सोरेन जेएमएम के संस्थापक सदस्य हैं।
उन्होंने Hemant Soren के पिता शिबू सोरेन के साथ सियासी बाजी संभाली है। इस बार आदिवासियों के लिए आरक्षित झारखंड विधानसभा की 28 में से सिर्फ एक सीट सरायकेला पर जेएमएम गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा जहां के वोटरों ने कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन को ही अपना जनप्रतिनिधि चुना।
अब ऐसे में अगर जेएमएम उन्हें अपने पाले में लाने में सफल रही तो झारखंड में आदिवासियों के लिए आरक्षित सीटों पर जेएमएम गठबंधन का ही परचम लहराता दिखेगा। उसका एक बड़ा सियासी संदेश भी जाएगा।
यह अनायास नहीं है कि चुनाव के बाद जेएमएम के राष्ट्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने उनकी वापसी को लेकर सकारात्मक अंदाज में बयान दिया है। सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि –‘अगर चंपई दादा आना चाहते हैं तो हम उनका स्वागत करेंगे। जेएमएम का दरवाजा उनके लिए खुला रहेगा’।
कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन के लिए तमाम विकल्पों पर जेएमएम में गंभीरता से विमर्श जारी…
बताया जा रहा है कि तमाम सियासी कारणों से मनमुटाव के बाद खेमा बदलने वाले कोल्हान टाइगर चंपई सोरेन को फिऱ से घर वापसी के लिए Hemant Soren की अगुवाई वाली जेएमएम तमाम सियासी विकल्पों पर भी गंभीरता से विमर्श कर रही है। इसी क्रम में सियासी गलियारों में 2 तरह की चर्चाएं गर्म हैं।
पहली तो यह कि चंपई सोरेन को झारखंड मुक्ति मोर्चा दिल्ली की राजनीति का ऑफर देकर उनकी सीट सरायकेलां से उनके बेटे को विधायक बनवा दे। वजह यह कि चंपई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन घाटशिला सीट से इस बार भाजपा के सिंबल पर उतरे थे, लेकिन चुनाव हार गए थे।
इस विकल्प पर काम बनने से पूरा कोल्हान टाइगर परिवार भी सियासी लिहाज से सेट होगा और जेएमएम पूरी तरह आदिवासी बहुल क्षेत्र में सियासी आधिपत्य महसूस करेगा। दूसरा विकल्प यह है कि चंपई सोरेन पहले की तरह ही जेएमएम में शामिल होकर Hemant Soren की सरकार में मंत्री बन जाएं। इनमें से पहले वाले विकल्प को ज्यादा मुफीद समझा जा रहा है।
झारखंड की सियासत में यह पहली बार नहीं है कि जेएमएम छोड़ने वालों की घर वापसी हो। पहले भी ऐसे कई मामले हुए हैं। वर्ष 2014 के चुनाव में साइमन मरांडी और हेमलाल मुर्मू जेएमएम छोड़कर भाजपा में चले गए थे। दोनों नेताओं की गिनती जेएमएम के भीतर कद्दावर नेताओं में होती थी और फिर वर्ष 2019 से पहले जेएमएम ने दोनों नेताओं की वापसी करा ली।
हाल ही में बहरगोड़ा विधानसभा के पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी की वापसी हुई है। षाडंगी कभी हेमंत सोरेन के करीबी थे और वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले षाडंगी भाजपा में शामिल हो गए थे।
वर्ष 2024 में जेएमएम छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले नेताओं की एक लंबी सूची है। इनमें सबसे पहले शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन का नाम है। पहले बोरियो विधायक लोबिन हेम्ब्रम भी भाजपा में आ गए लेकिन वह इस बार बोरियो सीट से नहीं जीत पाए।
इसी तरह लिट्टीपाड़ा सीट के पूर्व विधायक दिनेश विलियम मरांडी भी भाजपा में शामिल हुए लेकिन भाजपा को लिट्टीपाड़ा में भी हार का सामना करना पड़ा।