रांची: झारखंड हाइकोर्ट ने राज्य में नदियों व जल स्रोतों के अतिक्रमण तथा साफ-सफाई को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज पीआइएल पर सुनवाई की.
जस्टिस रंगन मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पक्ष सुनने के बाद कहा कि राजधानी में गरमी के आते ही पेयजल की समस्या पैदा होने लगती है. भूमिगत जल के स्रोत का स्तर काफी नीचे वला जाता है.
भूमिगत जल के स्रोत स्तर का बचाने के लिए राज्य सरकार व नगर निगम के पास क्या योजना है? अपार्टमेंट एवं भवनों में वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सरकार व नगर निगम की ओर से क्या कदम उठाये गये हैं? कोर्ट ने पूछा कि गरमी में पेयजल की समस्या होने पर उससे कैसे निपटा जायेगा, इसकी क्या योजना है.
हाइकोर्ट ने यी जानना चाहा कि कांके डैम,गैतलसूद और धुर्वा डैम के कैचमेंट एरिया के अतिक्रमण को हटाने के लिए क्या कर्रवाई की गयी है.
खंडपीठ ने कहा कि अवैध तरीके से होनेवाली डीप बोरिंग पर नियंत्रण लगाया जाये, ऐसा करनेवालों पर जुर्माना भी लगाया जाये. अवैध बोरिंग करनेवाले वाहनों को भी जब्त किया जाये.
खंडपीठ ने कहा कि गमों में पानी की समस्या होने पर कोर्ट लगातार मॉनिटरिंग करेगा. कोर्ट ने राज्य सरकार व निगम को जवाब दायर करने का निर्देश दिया.
अगली सुनवाई के लिए खंडपीठ ने आगामी 11 मार्च की तिथि निर्धारित की. इससे पूर्व रांची नगर निगम की ओर से अधिवक्ता एलसीएन शाहदेव ने पैरवी की.