रांची: यूनिवर्सिटी समेत झारखंड के 10 विश्वविद्यालयों में नीड बेस्ड लेक्चरर (असिस्टेंट प्रोफेसर) की नियुक्ति पर उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग ने रोक लगा दी है। उच्च शिक्षा निदेशक रामनिवास यादव ने इस संबंध में राज्य के सभी विश्वविद्यालयों को पत्र जारी किया है।
पत्र में उल्लेख किया गया है कि रांची यूनिवर्सिटी में नीड बेस्ड लेक्चरर नियुक्ति के साक्षात्कार के लिए जारी मेरिट लिस्ट में झारखंड के अभ्यर्थियों को समुचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से इस प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद विभाग ने नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक लगाने का निर्णय लिया है।
पूर्व विधायक बंधु तिर्की और एनएसयूआई के प्रदेश उपाध्यक्ष अमन अहमद के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने रांची यूनिवर्सिटी के वीसी डॉ. अजीत कुमार सिन्हा से मुलाकात कर इस मामले पर आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि ओपन सीटों पर झारखंड के अभ्यर्थियों को समुचित अवसर नहीं मिल रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना था कि नियुक्ति प्रक्रिया सरकार द्वारा प्रकाशित रेगुलेशन के तहत हो रही है। इसके बावजूद, शिकायतों को देखते हुए सरकार ने हस्तक्षेप कर नियुक्ति पर रोक लगा दी।
रांची यूनिवर्सिटी के नए मॉडल कॉलेजों और महिला कॉलेजों में शिक्षकों की भारी कमी है। लोहरदगा मॉडल कॉलेज और महिला कॉलेज लोहरदगा समेत कई कॉलेजों में एक भी शिक्षक नहीं है, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।
रांची यूनिवर्सिटी में 25 विषयों में 298 पदों पर नीड बेस्ड लेक्चरर की नियुक्ति होनी थी, जिसमें 178 अनारक्षित और 120 आरक्षित पद हैं। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के लिए कुल 1490 अभ्यर्थियों को बुलाया गया था, जिनमें 1115 अभ्यर्थी झारखंड के और 375 अभ्यर्थी अन्य राज्यों के थे। हालांकि, हिंदी विषय की ओपन सीटों पर बाहरी अभ्यर्थियों की संख्या अधिक पाई गई।
कॉलेजों में शिक्षकों की गंभीर कमी को देखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि उच्च शिक्षा विभाग को नियुक्ति प्रक्रिया की जांच के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए था। वीसी डॉ. अजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए जल्द कोई ठोस कदम उठाने की जरूरत है।