एचएमपीवी संक्रमण: विशेषज्ञों ने कहा, सावधानी जरूरी, लेकिन चिंता नहीं

रांची: देश में चीन के ह्यूमन मेटान्यूमो वायरस (एचएमपीवी) के मामलों की खबरों के बीच कर्नाटक, तमिलनाडु और गुजरात में पांच नवजातों में इस वायरस की पुष्टि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, ये सभी मामले गंभीर श्वसन संक्रमण के चलते अस्पताल लाए गए थे। अच्छी खबर यह है कि सभी नवजात ठीक हो रहे हैं।

संक्रमण के मामले और स्थिति

  1. बेंगलुरु में तीन महीने की बच्ची और आठ महीने के बच्चे में एचएमपीवी पाया गया। दोनों ब्रोंको निमोनिया से ग्रसित थे। बच्ची को अस्पताल से छुट्टी मिल चुकी है और बच्चा भी स्वास्थ्य लाभ कर रहा है।
  2. अहमदाबाद में दो महीने के नवजात को राजस्थान के डूंगरपुर से श्वसन संक्रमण के कारण लाया गया। 26 दिसंबर को एचएमपीवी की पुष्टि हुई।
  3. चेन्नई में दो नवजातों में वायरस मिला है। दोनों की स्थिति स्थिर है और वे स्वस्थ हो रहे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने बताया कि एचएमपीवी कोई नया वायरस नहीं है। यह दशकों से दुनियाभर में सर्दियों में पाया जाने वाला एक आम वायरस है। भारत में भी इसके मामले पहले से दर्ज होते रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वायरस मुख्य रूप से 24 महीने तक के बच्चों या बुजुर्गों को प्रभावित करता है। एम्स में 2005-2007 के बीच हुए अध्ययनों में पता चला कि श्वसन संक्रमण से प्रभावित मामलों में केवल 3% ही एचएमपीवी से संबंधित थे। भारत में हर साल लगभग 4% लोग इससे प्रभावित होते हैं।

एचएमपीवी एक सामान्य श्वसन संक्रमण है, जो मुख्य रूप से सर्दियों में फैलता है। इसके लक्षणों में सर्दी, खांसी, और बुखार शामिल हैं। यह वायरस श्वसन तंत्र में ही रहकर मल्टीप्लाई करता है, जिससे इसके तेजी से फैलने की संभावना कम हो जाती है।

हालांकि यह संक्रमण आम है, लेकिन विशेषज्ञों ने सतर्कता और निगरानी पर जोर दिया है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि वायरस का कोई नया स्ट्रेन न विकसित हो और बड़े स्तर पर संक्रमण न फैले।

चीन में वायरस के तेजी से फैलने की खबरों के बीच सोशल मीडिया पर भ्रम फैलाया जा रहा है। उड़ानों को रद्द करने और एयरपोर्ट पर जांच शुरू करने जैसी सिफारिशें की जा रही हैं। लेकिन विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है कि एचएमपीवी का मतलब कोरोना वायरस नहीं है।

एचएमपीवी संक्रमण सर्दियों में होने वाली आम समस्या है। घबराने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन सतर्क रहना और सही जानकारी फैलाना जरूरी है। स्वास्थ्य मंत्रालय और विशेषज्ञ लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं।

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