Bokaro/Dhanbad– भोजपुरी, मगही, और अंगिका के विरोध में झारखंड भाषा संघर्ष समिति कार्यकर्ताओं ने 40 किलोमीटर की मानव श्रंखला निकाल कर अपना विरोध प्रर्दशन किया है. धनबाद के महुदा से लेकर बोकारो के लग्न मोड़ तक आन्दोलनकारी मगही, भोजपुरी और अंगिका के विरोध में तख्तियां लेकर सरकार विरोधी नारे लगा रहे हैं. धनबाद-बोकारो के साथ ही निकटवर्ती जिलों से भी बड़ी संख्या में युवा, महिला और बच्चो की टोली इसमें शामिल है.
मगही, भोजपुरी के साथ ही 1932 का खतियान लागू करने की है मांग रहे है आन्दोलनकारी
आन्दोलनकारियों की मांग स्थानीय भाषा की श्रेणी से भोजपुरी, मगही और अंगिका को हटाने के साथ ही स्थानीय नियोजन की नीति में बदलाव कर 1932 का खतियान को लागू करने की है.
दरअसल भोजपुरी, मगही और अंगिका को बोकरो-धनबाद में स्थानीय भाषा के रुप में शामिल करते ही स्थानीय लोग इसके विरोध में उतर आये थें. जगह-जगह विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी हो गया था, इसी क्रम में झारखंड भाषा संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने 18 विधायको का पुतला दहन किया था.
रिपोर्ट- चुमन/राजकुमार