हुसैनाबाद: हुसैनाबाद के राजनीतिक माहौल में इस बार एक नया ‘नामकरण कांड’ छा गया है! असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने झारखंड की इस जमीन पर कदम क्या रखा, ऐसा लगा मानो चुनावी मंच को एक नया मसाला मिल गया—नाम बदलने का।
हुआ यूँ कि भाजपा प्रत्याशी कमलेश सिंह के नामांकन के बाद जनसभा में पहुंचे हिमंता बिस्वा सरमा ने सीधे-सीधे घोषणा कर डाली, “हुसैनाबाद को जिला बनाएंगे, लेकिन नाम बदल देंगे!” मानो झारखंड के नक्शे पर एक ‘नए नाम’ का अभाव था। लगता है, नाम बदलना इस चुनाव में उनके एजेंडा का मुख्य बिंदु है।
इसी बयान पर हुसैनाबाद में राजनीतिक उथल-पुथल शुरू हो गई। बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी शिवपूजन मेहता को ये बयान ऐसा खटका कि वे सीधे कोर्ट का दरवाजा खटखटा आए। मेहता का कहना है कि यह हुसैनाबाद के निवासियों की धार्मिक और सांप्रदायिक सद्भावना पर चोट है, और उन्होंने सरमा के खिलाफ कोर्ट में शिकायत दर्ज करा दी।
वैसे हुसैनाबाद की जनता इतनी परेशान है कि उन्हें अब लगता है कि शायद अगली बार कोई नेता आएगा तो “नाम बदलो आंदोलन” के नारे भी लगाएगा। चुनावी मंच पर ये नया “नाम का खेल” लोगों में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं पैदा कर रहा है। कहीं ये नया नामकरण प्रेम चुनावी राजनीति का एक नया तरीका तो नहीं?
यहां का चुनावी सीन अब किसी स्क्रिप्टेड रियलिटी शो की तरह लगने लगा है, जहां हर नेता अपने-अपने “नाम बदलने के मंत्र” लेकर आता है। जनता सोच में पड़ गई है—क्या अब हर शहर का नाम बदलना, हर गाँव का नाम बदलना राजनीति का अगला अध्याय बनने जा रहा है?