Sunday, August 3, 2025

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शिक्षा के वैकल्पिक माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं का उपयोग करने का विचार

रांची: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अपने स्कूलों को बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है।

इस पहल के तहत शिक्षा के वैकल्पिक माध्यम के रूप में भारतीय भाषाओं का उपयोग करने का विचार किया जा रहा है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 के तहत राष्ट्रीय शिक्षा, अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने भी कई भाषाओं में शिक्षा की शुरुआत करने के उपाय बनाए हैं।

सीबीएसई ने अपने स्कूलों को उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करने और बहुभाषी शिक्षा को सर्वोत्तम बनाने के लिए अन्य स्कूलों के साथ सहयोग करने की अपील की है।

सीबीएसई के निदेशक (शैक्षणिक) जोसेफ इमैनुएल ने एक पत्र में लिखा है कि सीबीएसई से संबद्ध स्कूल भारतीय संविधान में उल्लिखित भारतीय भाषाओं का उपयोग करके शिक्षा की सुविधा प्रदान कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि स्कूल विशेषज्ञों से परामर्श करके उपलब्ध संसाधनों का पता लगा सकते हैं और दूसरे स्कूलों के साथ सहयोग करके बहुभाषी शिक्षा को सुधारने के लिए सर्वोत्तम अभ्यासों को साझा कर सकते हैं।

सीबीएसई ने यह भी जिक्र किया है कि उच्च शिक्षा प्राधिकरण भी कई भाषाओं में शिक्षा प्रदान कर रहा है और विभिन्न क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कर रहा है। अब तकनीकी, चिकित्सा, व्यावसायिक, कौशल, कानून शिक्षा आदि क्षेत्रों में पाठ्यपुस्तकें भारतीय भाषाओं में उपलब्ध हो रही हैं।

इमैनुएल ने यह भी कहा कि यह पहल स्कूलों के लिए बहुभाषी शिक्षा की नींव बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

वे इसे एक महान प्रयास बताकर बताते हैं जिससे स्कूली शिक्षा से उच्च शिक्षा तक का संबंध मजबूत होगा।

इसलिए, सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों को भारतीय भाषाओं के माध्यम से शिक्षा प्रदान करने से इस महत्वपूर्ण पहल को सफल बनाने की जरूरत है।

इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया है कि एनसीईआरटी को सर्वोच्च प्राथमिकता पर यह निर्देश दिया गया है कि 22 अनुसूचित भारतीय भाषाओं में नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करनी चाहिए, जिससे आगामी सत्र से सभी छात्रों को इस सुविधा का लाभ मिल सके।

 

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