Deoghar: जिले के मनीगढ़ी और चितरा वन परिसर के आसपास बड़े पैमाने पर अवैध आरा मिल (Illegal sawmills) संचालित होने की शिकायतें सामने आई हैं। स्थानीय निवासियों और पर्यावरण समूहों का आरोप है कि कुछ वन उपपरिसर पदाधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध कारोबार खुलेआम चल रहा है और जंगलों को काटकर नष्ट किया जा रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि इस अवैध लकड़ी व्यापार और वन विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत पर रोक नहीं लगी तो आने वाले समय में यह क्षेत्र जंगल विहीन होने की कगार पर पहुंच सकता है।
स्थानीयों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं की चिंताः
अधिकारियों के सहयोग से चल रही कथित अवैध गतिविधियों से स्थानीय किसान, जंगली जीव-जन्तु और जल-धाराओं पर गंभीर असर पड़ रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि आरा मिलें ज्यादातर रात के समय चलती हैं और कटे हुए पेड़ों को छुपाकर अन्य स्थानों पर ले जाया जाता है। एक स्थानीय निवासी ने कहा कि यहां के जंगलों की रखवाली की जिम्मेदारी उसी विभाग की है, पर वही लोग लकड़ी माफियाओं के साथ मिलकर पेड़ों को काटवाते हैं। हमारा जीवन-निर्वाह, जड़ी-बूटी व जलस्रोत इन जंगलों पर निर्भर हैं, यदि जंगल खत्म हुए, तो हम क्या करेंगे?” पर्यावरण संगठनों ने भी इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए कार्रवाई, मिलों की सीलिंग और फॉरेस्ट पेट्रोलिंग बढ़ाने की मांग की है।
वन प्रशासन का जवाब — कार्रवाई का आश्वासनः
इस मामले में जब जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी (DFO) अभिषेक भुषण से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें अवैध आरा मिलों की खबर मिली है और वह ऐसे अवैध कारोबार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। DFO ने कहा कि अवैध आरा मिलों के संचलन की सूचना मेरे संज्ञान में आई है। मैं किसी भी कीमत पर इस तरह के अवैध कारोबार को चलने नहीं दूंगा। जो भी वन अधिकारी संलिप्त पाए गए, उनके खिलाफ कठोर कानूनी कार्यवाही की जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि शीघ्र ही टीम गठित कर जांच और आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही अवैध कटाई के जोन को चिन्हित कर उसके विरोध में सख्त कदम उठाए जाएंगे।
रिपोर्टः हरे कृष्ण मिश्र
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