पटना: राज्य में पिछले 19 वर्षों में विद्युतीकरण के मामले में बिहार ने काफी प्रगति की है। इस क्षेत्र में राज्य सरकार ने काफी कम किया है। अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में 22 से 23 घंटे तथा शहरी क्षेत्रों में 23 से 24 घंटे बिजली दी जा रही है। इतना ही नहीं अब राज्य के खेतों तक सिंचाई के लिए भी बिजली डेडिकेटेड कृषि फीडर के माध्यम से बिजली उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है और लगातार इस क्षेत्र में काम कर रही है। राज्य में वर्ष 2005 में 45 ग्रिड उपकेन्द्र था जबकि अब बढ़ कर 168 हो गया।
इसके साथ ही पहले 5 हजार किलोमीटर संचरण लाइन था जो कि अब बढ़ कर 20 हजार तीन सौ किलोमीटर हो गया। नीतीश कुमार की सरकार में विद्युत निकासी की क्षमता एक हजार मेगावाट से बढ़कर 14865 मेगावाट हो गई है। पिछले दो दशकों में राज्य में 8010 मेगावाट क्षमता के ताप विद्युत् केन्द्रों का निर्माण एवं विस्तार किया गया। इसके साथ ही राज्य में अब लोगों को निर्बाध विद्युत् आपूर्ति के लिए 15240 मेगावाट बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है।
राज्य सरकार सौर उर्जा के उपयोग को भी प्रोत्साहन दे रही है और इसके लिए अब तक 180 मेगावाट के सौर परियोजनाओं की शुरुआत की गई है। राज्य सरकार घरों और कार्यालयों के छतों पर सोलर पैनल के इन्स्टालेशन को भी बढ़ावा दे रही है। इसके साथ ही नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा की उपलब्धता सुनिश्चित करने हेतु 4338 मेगावाट बिजली के लिए अग्रीमेंट भी कर चुकी है। नाईट टाइम लाइट के एटलस में भी बिहार अब रातों में रौशनी से जगमग दिखती है। राज्य की सरकार हर घर बिजली के वादा को पूर्ण करने के लिए लगातार काम कर रही है और अभी भी लगातार बिजली व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में काम कर रही है।
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