रांची: झारखंड में सरकारी नियुक्तियों की प्रक्रिया एक बार फिर सुर्खियों में है। राज्य में 28,804 पदों पर नियुक्ति परीक्षाएं तो महीनों पहले संपन्न हो चुकी हैं, लेकिन अब तक इनका परिणाम घोषित नहीं किया गया है। इससे हजारों अभ्यर्थी मानसिक तनाव और आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। कोई ट्यूशन पढ़ाकर अपना खर्च चला रहा है, तो कोई दुकानदारी कर रहा है। अभ्यर्थियों की निगाहें सिर्फ रिजल्ट पर टिकी हैं, लेकिन सरकार या आयोग की ओर से कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिल रहा है।
जेपीएससीः सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट नौ माह से लंबित
झारखंड लोकसेवा आयोग (जेपीएससी) ने 11वीं से 13वीं सिविल सेवा मुख्य परीक्षा 22 से 24 जून 2024 को आयोजित की थी। उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन कार्य भी पूरा हो चुका है। लेकिन रिजल्ट अगस्त 2024 में घोषित होना था, जो अब तक जारी नहीं हो सका। यह परीक्षा राज्य की सिविल सेवा के 342 पदों के लिए ली गई थी। पीटी का रिजल्ट अप्रैल 2024 में जारी किया गया था, जिसमें 7011 अभ्यर्थी सफल हुए थे।
रिजल्ट अटका क्यों?
जेपीएससी अध्यक्ष का कार्यकाल 22 अगस्त 2024 को समाप्त हो गया था, जिसके बाद सात महीने तक यह पद खाली रहा। फरवरी 2025 में नए अध्यक्ष की नियुक्ति हुई, लेकिन इससे पहले अध्यक्ष और सदस्यों के बीच तालमेल की कमी के चलते रिजल्ट अटका रहा। अब नए अध्यक्ष ने कहा है कि वे अवकाश से लौटकर स्थिति की समीक्षा करेंगे।
जेएसएससीः सहायक आचार्य और सीजीएल परीक्षाओं पर कोर्ट की रोक
झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) द्वारा सहायक आचार्य के 26,001 पदों और सीजीएल परीक्षा के 2017 पदों पर नियुक्ति के लिए परीक्षाएं ली गई थीं। लेकिन दोनों ही परीक्षाएं विवादों में फंस गईं और कोर्ट ने इनके रिजल्ट पर रोक लगा दी। जब तक अदालत कोई निर्णय नहीं देती, तब तक परिणाम जारी नहीं हो सकते।
महिला पर्यवेक्षिका के 444 पदों का रिजल्ट भी अधर में
अक्टूबर 2023 में महिला पर्यवेक्षिका पदों के लिए आवेदन लिए गए थे और सितंबर 2024 में परीक्षा आयोजित की गई थी। इसमें 9676 अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन सात महीने बीतने के बाद भी परिणाम नहीं आ सका। आश्चर्य की बात यह है कि पड़ोसी राज्यों में ऐसी ही परीक्षाओं का परिणाम समय पर घोषित हो गया है।
जेएसएससी में नेतृत्व संकट
जेपीएससी की तरह जेएसएससी में भी नेतृत्व का संकट रहा। अध्यक्ष नीरज सिन्हा ने फरवरी 2024 में इस्तीफा दे दिया। इसके बाद कई अधिकारियों को अतिरिक्त प्रभार दिया गया, लेकिन वे भी छुट्टियों पर रहे। अब फिर से एक नए अधिकारी को प्रभार सौंपा गया है।
झारखंड में सरकारी नौकरियों की नियुक्ति प्रक्रिया लगातार बाधित हो रही है। नतीजा यह है कि हजारों योग्य अभ्यर्थी महीनों से असमंजस में हैं। परीक्षा हो चुकी है, मूल्यांकन पूरा हो चुका है, लेकिन नतीजे घोषित नहीं किए जा रहे। पारदर्शिता और समयबद्धता की मांग अब और तेज़ हो चली है।