रांची: UPSC अब अपनी परीक्षाओं में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए हाई-टेक सिस्टम अपनाने जा रहा है। जून 2025 से शुरू होने वाली विभिन्न परीक्षाओं में आयोग बायोमैट्रिक आधार सत्यापन और AI आधारित मॉनिटरिंग सिस्टम लागू करेगा। इस तकनीक का उद्देश्य नकल और अन्य अनुचित तरीकों को पूरी तरह से रोकना है।
हालांकि, आयोग ने यह स्पष्ट किया है कि ये नई व्यवस्थाएं वर्ष 2025 की सिविल सेवा परीक्षा पर लागू नहीं होंगी। यह प्रस्ताव पहले ही 2024 में रखा गया था, जिसके तहत सार्वजनिक क्षेत्र की तकनीकी एजेंसियों से निविदाएं आमंत्रित की गई थीं।
कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने यूपीएससी को अधिकार दिया है कि वह रजिस्ट्रेशन से लेकर परीक्षा और इंटरव्यू तक उम्मीदवारों की सत्यता जांचने के लिए आधार प्रमाणीकरण का इस्तेमाल कर सकेगा। अब परीक्षार्थियों की फेशियल रिकग्निशन, फिंगरप्रिंट आइडेंटिफिकेशन, लाइव AI CCTV ट्रैकिंग और QR स्कैनिंग आधारित ई-एडमिट कार्ड वेरिफिकेशन किया जाएगा।
यह सख्त कदम तब से विचाराधीन था जब एक पूर्व आईएएस अधिकारी की फर्जी प्रमाणपत्रों से नौकरी पाने की सच्चाई उजागर हुई थी। हालांकि आयोग का दावा है कि वर्ष 2009 से 2023 के बीच फर्जी दस्तावेजों का कोई मामला सामने नहीं आया।
आगामी परीक्षाएं:
जून 2025: इंजीनियरिंग सर्विसेज (प्री), IES/ISS एग्जामिनेशन, कंबाइंड जियो साइंटिस्ट परीक्षा
जुलाई 2025: कंबाइंड मेडिकल सर्विसेज परीक्षा
यूपीएससी की यह पहल आने वाले समय में देश की सबसे बड़ी और प्रतिष्ठित परीक्षाओं को और अधिक पारदर्शी और सुरक्षित बनाएगी।