डिजिटल डेस्क : अमेरिकी रेसीप्रोकल टैरिफ से भारत की GDP को सालाना 0.60 फीसदी नुकसान का अनुमान। अमेरिकी कांग्रेस में दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद डोनाल्ड ट्रंप के संबोधन का सीधा असर उसका खुद को भरोसेमंद दोस्त दोस्त मानने वाले भारत को होने जा रहा है।
तुरंत ही राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ऐलान के मायने के निकाले जाने लगे हैं और उसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का आकलन किया जाना शुरू हो गया है। अमेरिकी रेसीप्रोकल टैरिफ से भारत को काफी नुकसान होने का अंदेशा है।
वजह यह कि इससे भारत के GDP को सालाना 0.60 फीसदी तक नुकसान होने का शुरूआती आकलन लगाया गया है।
अमेरिका के रेसीप्रोकल टैरिफ लगाने से भारत की अर्थव्यवस्था को होने वाले नुकसान के पीछे कई कारण भी गिनाए जा रहे हैं। इनमें सबसे अव्वल तो यह कि अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है।
भारत का स्टेक अमेरिका के मुकाबले ज्यादा
ट्रेडिंग पार्टनर होने के क्रम में बड़ी बात ये है कि अमेरिका भारत के लिए उन देशों में शुमार है, जहां से कारोबार करने पर देश को नुकसान नहीं होता। इसका मतलब है कि भारत का अमेरिका का ट्रेड हमेशा से सरप्लस रहा है।
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत और अमेरिका का ट्रेड 100 अरब डॉलर के पार चला गया था। उसके बाद भी दोनों देशों का ट्रेड 80 बिलियन डॉलर से ऊपर बना हुआ है। इसमें 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा एक्सपोर्ट भारत अमेरिका को करता है। ऐसे में समझा जा सकता है कि आखिर भारत का स्टेक अमेरिका के मुकाबले ज्यादा है तो इस रेसिप्रोकल टैरिफ के चलते भारत को ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कुछ समय पहले आई सिटी रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर रेसीप्रोकल टैरिफ लागू होता है तो भारत की GDP को सालाना आधार पर 0.50 फीसदी का नुकसान उठाना पड़ सकता है।
तीसरी तिमाही के GDP के आंकड़ों में भारत एक बार फिर से 6 फीसदी से ऊपर गया है। साथ ही मौजूदा वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए जो GDP अनुमान है वो 6 फीसदी से ऊपर ही देखने को मिल रहा है।
अभी डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका में 4 साल तक सत्ता में रहेंगे। अगर ऐसा ही रहा तो भारत की GDP को रेसिप्रोकल टैरिफ से सीधे तौर पर ज्यादा नुकसान होने की संभावना है।


टैरिफ से भारत को 61 हजार करोड़ के नुकसान का अंदेशा…
अमेरिकी रेसीप्रोकल टैरिफ से भारत के करीब आधा दर्जन सेक्टर्स को मोटा नुकसान होने का अंदेशा है। विश्लेषकों का अनुमान है कि भारत के जो सेक्टर्स सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले हैं, उनमें कैमिकल, मेटल प्रोडक्ट्स ज्वेलरी के अलावाउ ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स और फूड प्रोडक्ट्स शामिल हैं।
अंदेशा है कि भारत के एक्सपोर्ट सेक्टर को सालाना आधार पर 61 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो सकता है। यानि कुल मिलाकर भारत पर अमेरिका के रेसीप्रोकल टैरिफ का असर काफी गहरा देखने को मिल सकता है।
अगर दोनों देशों के ट्रेडिंग को देखें तो अमेरिका भारत का चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। साल 2024 में तो भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर अमेरिका ही था। साल 2024 में भारत के साथ अमेरिका का कुल वस्तु व्यापार अनुमानतः 129.2 बिलियन डॉलर था।
2024 में भारत अमेरिका से 41.8 अरब डॉलर का इंपोर्ट करता था जो 2023 से 3.4 फीसदी (1.4 बिलियन डॉलर) अधिक था। वहीं 2024 में भारत ने अमेरिका को कुल 87.4 बिलियन डॉलर का इंपोर्ट किय था, जो 2023 से 4.5 फीसदी (3.7 बिलियन डॉलर) अधिक था।
2024 में भारत अमेरिका के ट्रेड में सरप्लस था जिसकी वैल्यू 45.7 बिलियन डॉलर थी। वित्त वर्ष 2025 की बात करें तो वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2025 में भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात 39 फीसदी बढ़कर 8.44 अरब डॉलर पहुंचा।
वहीं, आयात भी 33.46 फीसदी बढ़कर 3.57 अरब डॉलर हो गया। भारत सरकार ने अमेरिका के साथ 2030 तक बाइलेटरल ट्रेड को 500 अरब डॉलर का लक्ष्य रखा है। इस बाइलेटरल ट्रेड में भारत की हिस्सेदारी कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है।
भारत का एक्सपोर्ट इंपोर्ट के मुकाबले करीब करीब दोगुना है। अब जब अमेरिका का 2 अप्रैल यानी भारत के हिसाब से वित्त वर्ष 2026 में रेसीप्रोकल टैरिफ लागू हो जाएगा, तो देश के एक्सपोर्ट पर या यूं कहें कि अमेरिका जो इंपोर्ट भारत से करेगा, उस पर उसी हिसाब से टैरिफ लगाएगा जो भारत लगा रहा है।
ऐसे में भारत के प्रोडक्ट्स की डिमांड कम हो सकती है और एक्सपोर्ट में कमी भी देखने को मिल सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश के एक्सपोर्ट में 11 से 12 फीसदी तक की कमी देखने को मिल सकती है।


भारत के खिलाफ टैरिफ को लेकर यह बोल गए हैं डोनाल्ड ट्रंप…
दोबारा राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद पहली बार अमेरिकी कांग्रेस (संसद) को संबोधित करते हुए डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि – ‘अमेरिका इज बैक…। अमेरिका के प्राइड की वापसी हुई है…विश्वास की वापसी हुई है। हमने चुनाव में शानदार जीत हासिल की। …हमने सभी स्विंग स्टेट में जीत दर्ज की।
…मैंने अपने पहले कार्यकाल में कई रूल्स और रेगुलेशन बनाए थे और इस बार भी मैं वैसा ही कर रहा हूं। सत्ता में आने के बाद मैंने कई आदेशों पर साइन किया। …मैंने 6 हफ्तों में 400 से ज्यादा फैसले लिए। अमेरिका को फिर से महान बनाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।
जो भी देश हम पर जितना टैरिफ लगाएगा, हम उसके खिलाफ उतना ही टैरिफ लगाने जा रहे हैं। हमने इसके लिए 2 अप्रैल की तारीख तय की है। यह शुल्क अमेरिका को फिर से अमीर और महान बनाने के लिए हैं।
अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया है। …अब उन अन्य देशों के खिलाफ उनके हथियार का ही इस्तेमाल करने की हमारी बारी है।
…औसतन यूरोपीय संघ, चीन, ब्राजील, भारत… और अनगिनत अन्य देश हमसे बहुत अधिक टैरिफ वसूलते हैं। उनकी तुलना में हम उनसे कम टैरिफ लेते हैं। यह बहुत अनुचित है। भारत हमसे 100% ऑटो टैरिफ वसूलता है, चीन हमसे दोगुना टैरिफ वसूलता है, दक्षिण कोरिया चार गुना टैरिफ लगाता है।
…यह प्रणाली अमेरिका के लिए उचित नहीं है, यह कभी नहीं थी। 2 अप्रैल को पारस्परिक टैरिफ (Reciprocal tariffs) लागू होंगे। वे जो भी टैरिफ हम पर लगाते हैं, हम उन पर टैरिफ लगाएंगे। वे जो भी ‘कर’ हम पर लगाते हैं, हम उन पर कर लगाएंगे।


…यदि वे हमें अपने बाजार से बाहर रखने के लिए गैर-मौद्रिक टैरिफ लगाते हैं, तो हम उन्हें अपने बाजार से बाहर रखने के लिए गैर-मौद्रिक अवरोध लगाएंगे।
…कनाडा, मैक्सिको ने अमेरिका में रिकॉर्ड स्तर पर फेंटानाइल आने दिया। इससे हजारों अमेरिकी मारे गए। हम कनाडा और मैक्सिको को सब्सिडी देते हैं, लेकिन अब और नहीं देंगे। अमेरिका को कई दशक से लगभग हर देश ने लूटा है। अब हम ऐसा और नहीं होने देंगे। टैरिफ से भारी आमदनी होगी। इससे अप्रत्याशित नौकरियां पैदा होंगीं।
…2 अप्रैल से अमेरिका आने वाले विदेशी कृषि उत्पादों पर नया टैरिफ लागू होगा। हम नई ट्रेड पॉलिसी लाएंगे, जो अमेरिका के किसानों के लिए शानदार होगी।…मैं किसानों से प्यार करता हूं। गंदा और घटिया विदेशी सामान अमेरिका में आ रहा है, जो अमेरिकी किसानों को नुकसान पहुंचा रहा है।
…विदेशी एल्युमिनियम, कॉपर, लंबर और स्टील पर 25 फीसदी टैरिफ लगाया गया है। यह सिर्फ अमेरिकी नौकरियों की सुरक्षा के लिए नहीं हैं, ये हमारे देश की आत्मा की रक्षा करने के लिए हैं।’
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