बांग्लादेश में 3 महीने रहेगी अंतरिम सरकार और फिर चुनाव बाद बनेगी नई सरकार, सीमा पर जुटे जमात के कैडर तो भारत ने बढ़ाई सतर्कता

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के मुखिया मो. यूनुस समर्थकों संग।

डिजीटल डेस्क :बांग्लादेश में 3 महीने  रहेगी अंतरिम सरकार और फिर चुनाव बाद बनेगी नई सरकार,  सीमा पर जुटे जमात के कैडर तो भारत ने बढ़ाई सतर्कता। बांग्लादेश में सत्ता में आ चुकी नई अंतरिम सरकार ने पीएम का पद घोषित नहीं है और प्रमुख सलाहकार के रूप में पीएम का कार्यभार ग्रहण कर चुके अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने शुक्रवार को मंत्रालयों का बंटवारा कर दिया। इस बीच एक अहम जानकारी भारतीय मीडिया समेत पूरे दुनिया से साझा की गई है कि नई अंतरिम सरकार की मियाद 3 महीने की होगी। उसके बाद देश में चुनाव होगा और लोकतांत्रिक रूप से संसदीय बहुमत वाली सरकार सत्ता संभालेगी।

अंतरिम सरकार में कोई भी मंत्री नहीं, सभी हैं सलाहकार और सभी हैं अपने क्षेत्र के नामचीन

बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार के तख्तापलट के बाद नोबेल पुरस्कार विजेता और प्रसिद्ध अर्थशास्त्री मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन हुआ है। मोहम्मद युनुस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ नहीं ली है, बल्कि वह मुख्य सलाहाकर हैं।  उनके मंत्रिमंडल के सदस्यों को मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार का पद दिया गया है।

तख्तापलट के बाद देश में मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में आंदोलनरत छात्र संगठनों ने सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा था।  सेना, बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी सहित अन्य पार्टियों ने इसका समर्थन किया था। माना जा रहा था कि अंतरिम सरकार में सेना और बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी जैसी पार्टियों के ज्यादा प्रतिनिधि होंगे लेकिन मोहम्मद युनुस के नेतृत्व में बनी अंतरिम सरकार ने सभी कयासों को गलत साबित किया है।

पूर्व की सरकारों से यह सरकार पूरी तरह से अलग और रोचक है। इस अंतरिम सरकार में देश की ऐसी हस्तियों को शामिल किया गया है, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में उत्कृष्ठ काम किया है और उन्हें राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार मिले हैं और उन लोगों की अपने क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान भी है।

शेख हसीना के कट्टर विरोधियों की हुई अंतरिम सरकार

अंतरिम सरकार के मुखिया बने मोहम्मद युनुस की पहचान के दुनिया के प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के रूप में होती है। उन्हें अपने माइक्रोफाइनेंस कार्य के लिए साल 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार मिला था। माना जाता है कि उनके काम की वजह से बांग्लादेश में गरीबी कम करने में मदद मिली और दुनिया भर में इसे व्यापक रूप से अपनाया गया।

वह पूर्व पीएम रहीं शेख हसीना सरकार के कट्टर विरोधी माने जाते हैं। शेख हसीना के शासनकाल में उन पर किये गये केस के बाद उन्हें देश छोड़कर जाना पड़ा था और उन्होंने फ्रांस में शरण ले रखी थी।

बांग्लादेश में हिंसक छात्र आंदोलन के बाद उन्हें पेरिस से वापस बुलाया गया और उन्होंने अंतरिम सरकार के प्रधान सलाहाकर के रूप में शपथ ली। 84 वर्षीय मोहम्मद युसुफ को राष्ट्रपति ने मुख्य सलाहकार के रूप में शपथ दिलाई है। यह पद प्रधानमंत्री के समकक्ष है।

यह अपने आम में रोचक है कि मोहम्मद युनुस अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ नहीं ली है, बल्कि वह मुख्य सलाहाकर हैं और उनके मंत्रिमंडल के एक दर्जन से अधिक सदस्यों ने मंत्री नहीं बल्कि सलाहकार के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली है।

इस अंतरिम सरकार में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।  उन सभा का बांग्लादेश में काफी नाम है। इस अंतरिम सरकार में केवल एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर-जनरल को जगह मिली है।

बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में सलाहकार के रूप में नए मंत्रियों ने ली शपथ
बांग्लादेश के अंतरिम सरकार में सलाहकार के रूप में नए मंत्रियों ने ली शपथ

बांग्लादेश के नई अंतरिम सरकार में मंत्रिमंडल नहीं बल्कि सलाहाकार परिषद

बांग्लादेश में सत्ता में आई नई अंतरिम सरकार में कोई मंत्रिमंडल नहीं रखा गया बल्कि उन्हीं मंत्रालयों को विभाग का रूप देते हुए सलाहकारों को मंत्री सरीखा रुतबा देते हुए सलाहकार परिषद का गठन किया गया है।

इस सलाहकार परिषद के सदस्यों में ब्रिगेडियर जनरल (सेवानिवृत्त) एम सखावत हुसैन, महिला अधिकार कार्यकर्ता फरीदा अख्तर, चटगांव हिल ट्रैक्ट्स डेवलपमेंट बोर्ड के अध्यक्ष सुप्रदीप चकमा, प्रोफेसर बिधान रंजन रॉय, पूर्व विदेश सचिव तौहीद हुसैन, दक्षिणपंथी पार्टी हिफाजत-ए-इस्लाम के उप प्रमुख एएफएम खालिद हुसैन, ग्रामीण दूरसंचार ट्रस्टी नूरजहां बेगम और स्वतंत्रता सेनानी शर्मीन मुर्शिद को शामिल किया गया है।

ये सभी अपने-अपने क्षेत्रों में विशेज्ञता हासिल कर रखी है। इसके अतिरिक्त सलाहाकार परिषद में आदिलुर रहमान खान, एएफ हसन आरिफ, सईदा रिजवाना हसन, मोहम्मद नजरुल इस्लाम, सुप्रदीप चकमा और फारूक-ए-आजम जैसी हस्तियों को भी जगह मिली है।

बांग्लादेश में आंदोलन को नेतृत्व देने वाले स्टूडेंट्स अगेंस्ट डिस्क्रिमिनेशन समूह के दो शीर्ष नेता नाहिद इस्लाम और आसिफ महमूद को सलाहाकार परिषद में शामिल किया गया है।  इस तरह से अंतरिम सरकार में आंदोलनरत छात्रों को भी जगह दी गई है।

तख्तापलट के बाद सिलीगुड़ी, किशनगंज और मुकेश पोस्ट पर जमा हो रहे जमात के कैडर , बीएसएफ चौकस

बांग्लादेश में तख्तापलट, उपद्रव, मारकट और हिंसा वाले माहौल के बीच कट्टरपंथ समर्थक नई अंतरिम सरकार के सत्ता में आते ही जमात के कैडर भारतीय सीमा पर पहुंच गए हैं। इंटेलिजेंस से मिले ताजा इनपुट के बाद सीमा पर तैनात बीएसएफ ने पहले से जारी हाई अलर्ट वाली चौकसी व निगरानी को गंभीर संवेदनशील घोषित करते हुए काम शुरू किया है।

प्रतिबंधित इस्लामी आतंकवादी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) और अंसारूल्लाह बांग्ला टीम के आतंकवादी व अन्य अपराधी वहां की जेलों से भाग गए हैं। ये आतंकी भारत में पश्चिम बंगाल और बिहार के करीब घुसपैठ कर सकते हैं और लिहाजा खुफिया एजेंसी ने अतिरिक्त चौकसी बरतने का सतर्कता संदेश दिया है।

इस समय बांग्लादेश में हिंसा की वजह से अल्पसंख्यकों में आतंक है और  उनमें से कइयों ने भारत बांग्लादेश भारतीय सीमा का रुख किया है। खासतौर पर पश्चिम बंगाल में बांग्लादेश के हालात बिगड़ने के बाद सीमा पर अल्पसंख्यकों की भारी भीड़ जमा हो रही है।

वे भारत में दाखिल होना चाह रहे हैं क्योंकि बांग्लादेश के अल्पसंख्यक नागरिक हिंसा से बहुत ही लाचार हैं। खुफिया एजेंसी के संदेश के मुताबिक, भारत-बांग्लादेश सीमा के तीन पोस्टों पर बांग्लादेशी अल्पसंख्यक नागरिकों की भारी भीड़ जमा हुई है, जिनकी तादाद 500 से अधिक होने का अनुमान है।

जिन तीन पोस्ट पर भीड़ जमा हुई है,वे हैं सिलीगुड़ी, किशनगंज और मुकेश पोस्ट। इनमें से सिलीगुड़ी पोस्ट पश्चिम बंगाल में है और सीमा सुरक्षा के लिहाज बहुत ही महत्वपूर्ण व संवेदनशील है।

बीएसएफ बांग्लादेश की बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश से लगातार संपर्क स्थापित कर इन नागरिकों को नियमों के मुताबिक उनके देश में ही रोक रहा है। सिर्फ जिनके पास वैध कानूनी दस्तावेज हैं, उन्हें इंटीग्रेटेड चेकपोस्ट के जरिए भारतीय सीमा में दाखिल होने की अनुमति है, जहां से नियमित व्यापार भी शुरू कराया गया है।

Share with family and friends: