डिजीटल डेस्क : ISKCON पर नहीं लगेगा प्रतिबंध, ढाई हाईकोर्ट ने किया इंकार। ISKCON को प्रतिबंधित किए जाने संबंधी ढाका हाईकोर्ट में दायर याचिका पर स्वत: संज्ञान लेकर आदेश देने से ढाका हाईकोर्ट ने गुरूवार को इंकार कर दिया।
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इस मामले की सुनवाई शुरू होने पर ढाका हाईकोर्ट ने कहा कि –‘वह अंतरिम सरकार की ओर से की जा रही कार्रवाई से संतुष्ट है। लिहाजा फिलहाल इस मामले में स्वत: संज्ञान लेने की जरूरत नहीं है। इसी के साथ ISKCON पर लटकी प्रतिबंध की तलवार फिलहाल के हट गई है’।
जानिए, ISKCON मामले पर ढाका हाईकोर्ट ने क्या कहा…
बांग्लादेश में जारी तनाव और विवाद के बीच गुरूवार को ISKCON को ढाका हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बीते बुधवार को बांग्लादेश सरकार की ओर से वकील मोनिरुज्जमां ने जस्टिस फराह महबूब और जस्टिस देबाशीष रॉय चौधरी की पीठ के सामने ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका दायर की थी।
साथ ही याचिका में चटगांव और रंगपुर के इलाकों में इमरजेंसी लागू करने की भी मांग की थी। गुरूवार को उसी याचिका पर सुनवाई करते हुए ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की मांग पर ढाका हाईकोर्ट के जजों ने अहम टिप्पणी की।
पीठ ने कहा कि –‘सरकार सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रही है। हम सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट हैं और राज्य की जिम्मेदारी पर हमें भरोसा है। हमारे देश में सभी धर्मों के लोग बहुत सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं। आपसी सम्मान और प्यार कभी नहीं खोएगा। इसलिए आवेदक को कोई चिंता नहीं करनी चाहिए’।

ढाका हाईकोर्ट ने बांग्लादेशी सरकार से कहा- और जानमाल का नुकसान ना हो…
ISKCON पर प्रतिबंध लगाने की याचिका पर गुरूवार को ढाका हाईकोर्ट में सुनवाई शुरू होते ही अटॉर्नी जनरल की ओर से डिप्टी अटॉर्नी जनरल असदउद्दीन ने बांग्लादेश सरकार की ओर से उठाए गए कदमों की जानकारी पीठ को दी।
उन्होंने कहा कि –‘इस घटना पर सरकार का रुख सख्त है। इसे लेकर अब तक 3 मामले सामने आए हैं। एक में 13 लोग, दूसरे में 14 लोग और तीसरे में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया है। अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। सीसीटीवी के जरिए 6 और लोगों की पहचान की गई है। बांग्लादेश पुलिस एक्टिव है।
…आरोपियों से पूछताछ करने पर जानकारी के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। न केवल चटगांव में बल्कि अन्य स्थानों पर भी सुरक्षा बल इस मुद्दे पर सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ काम कर रहे हैं’।
इसके बाद ISKCON पर प्रतिबंध लगाने से इंकार करते हुए पीठ के एक जज ने कहा कि – ‘…लोगों की जान को और कोई नुकसान नहीं होना चाहिए’।