रांची:जेपीएससी को एक बड़ी फटकार लगाते हुए सिविल जज (जूनियर डिवीजन) प्रारंभिक परीक्षा (पीटी) में एससी कोटि के एक अभ्यर्थी को असफल घोषित करने को असंवैधानिक ठहराया है। मुख्य न्यायाधीश एसएस रामचंद्र राव की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जेपीएससी को निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ता दीपक कुमार का परिणाम आरक्षित श्रेणी (SC) के अंतर्गत जारी करे।
खंडपीठ ने स्पष्ट कहा कि किसी भी अभ्यर्थी को उसके संवैधानिक और मौलिक अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि संविधान में आरक्षित वर्गों की सामाजिक असमानता दूर करने के लिए जो प्रावधान हैं, उनका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।
मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता वंदना सिंह और राजेश कुमार ने दलील दी कि दीपक कुमार ने आवेदन के समय एससी कोटि का स्पष्ट उल्लेख किया था, परंतु तकनीकी त्रुटि के कारण आरक्षण कॉलम (हॉरिजॉन्टल या वर्टिकल) में जानकारी अधूरी रह गई। इसके बावजूद उन्होंने एससी कोटि के कटऑफ से अधिक 36 अंक प्राप्त किए, जबकि कटऑफ 32 था। बावजूद इसके जेपीएससी ने परिणाम जारी नहीं किया।
उच्च न्यायालय ने इस स्थिति को संविधान के आरक्षण सिद्धांत के खिलाफ माना और आयोग को निर्देशित किया कि परिणाम में याचिकाकर्ता को आरक्षित श्रेणी में सम्मिलित करते हुए उनका रिजल्ट प्रकाशित किया जाए।