रांची: झारखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (झारेरा) ने रियल एस्टेट सेक्टर में पारदर्शिता और खरीदारों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर बड़ा कदम उठाया है। अथॉरिटी ने ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन कराने वाले 548 बिल्डरों को नोटिस जारी किया है, क्योंकि इन बिल्डरों ने अब तक अपने प्रोजेक्ट से संबंधित जरूरी कागजात झारेरा की वेबसाइट पर ऑनलाइन अपलोड नहीं किए हैं।
80% तक फ्लैट और दुकानें बिक चुकी, फिर भी जानकारी गायब
झारेरा के अनुसार, सात साल पहले कुल 620 प्रोजेक्ट का ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन हुआ था, जिनमें से 240 प्रोजेक्ट सिर्फ रांची के हैं। लेकिन इनमें से केवल 72 प्रोजेक्ट के ही कागजात अथॉरिटी को प्राप्त हुए हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इन प्रोजेक्ट्स में अधिकांश बिल्डरों ने 80 फीसदी तक फ्लैट और दुकानों की बिक्री पहले ही कर दी है, बावजूद इसके जरूरी दस्तावेज जमा नहीं किए गए हैं।
30 अप्रैल तक की डेडलाइन, नहीं तो होगी कोर्ट में कार्रवाई
झारेरा के चेयरमैन बीरेन्द्र भूषण ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सभी संबंधित बिल्डरों को 30 अप्रैल 2025 तक प्रोजेक्ट से जुड़ी पूरी जानकारी और ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट ऑनलाइन जमा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर झारेरा कोर्ट में केस दर्ज करेगा और आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा।
65 बिल्डरों पर 55 लाख का जुर्माना, फिर भी नहीं सुधरे हालात
झारेरा ने तिमाही रिपोर्ट ऑनलाइन नहीं देने वाले 65 बिल्डरों पर अब तक 55 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इनमें से 45 बिल्डरों ने जुर्माना भर भी दिया है, लेकिन रिपोर्ट समय पर जमा नहीं कर रहे हैं। इससे न केवल झारेरा बल्कि फ्लैट खरीदार भी यह नहीं जान पा रहे कि प्रोजेक्ट की स्थिति क्या है।
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट न लेने के पीछे बड़ा कारण: नक्शा उल्लंघन
झारेरा ने यह भी स्पष्ट किया है कि अधिकांश बिल्डर ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट इसलिए नहीं लेते, क्योंकि वे स्वीकृत नक्शे के अनुसार निर्माण नहीं करते। ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट का मतलब होता है कि बिल्डिंग सुरक्षित है और रहने योग्य है, लेकिन 80 फीसदी बिल्डर इसे लेने से बचते हैं, जिससे खरीदारों को जोखिम का सामना करना पड़ता है।