रांची: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को सांसदों और विधायकों (एमपी-एमएलए) के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों के त्वरित निपटारे को लेकर स्वतः संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई हुई। कोर्ट द्वारा नियुक्त एमिकस क्यूरी अधिवक्ता मनोज टंडन ने अदालत को अवगत कराया कि ऐसे कई मामलों में आरोप पत्र दाखिल होने के बावजूद आरोप गठन में वर्षों लग जाते हैं, जिससे ट्रायल में अत्यधिक देरी हो रही है।
उन्होंने बताया कि कई मामलों में आरोप गठन में ही छह साल तक लग गए, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ट्रायल में स्वाभाविक रूप से लंबा समय लगना तय है। एमिकस क्यूरी ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की मंशा ही नहीं है कि इन मामलों में ट्रायल शीघ्र पूरा हो।
सीबीआई की ओर से अदालत को बताया गया कि झारखंड में एमपी-एमएलए के खिलाफ कुल 12 आपराधिक मामले लंबित हैं। इनमें से 9 मामले रांची सिविल कोर्ट और 3 मामले धनबाद की अदालत में चल रहे हैं। सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा कि ट्रायल में देरी के कारणों को समझने के लिए ऑर्डर शीट का अध्ययन करना आवश्यक है, जिसके बाद ही स्पष्ट जानकारी दी जा सकेगी।
हाईकोर्ट ने सीबीआई को सभी लंबित मामलों की विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट 17 जून से पहले दाखिल करने का निर्देश दिया है, जिस दिन अगली सुनवाई निर्धारित है।