रांची: झारखंड विधानसभा चुनाव 2024 में कोडरमा और आसपास के क्षेत्रों में एनडीए और इंडिया के बीच कड़ी टक्कर की संभावना बन रही है। इस बार, चुनावी मैदान में जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समीकरण निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं, जिससे चुनावी नतीजों पर गहरा असर पड़ सकता है। कोडरमा में शालिनी गुप्ता, जिन्होंने पिछले चुनाव में 45,000 वोट हासिल किए थे, इस बार फिर से प्रमुख दावेदार के तौर पर उभर रही हैं, जबकि नीरा यादव और सुभाष यादव भी उन्हें चुनौती दे रहे हैं। धनवार, बगोदर, डुमरी और बेरमो जैसी सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है, जहां जयराम महतो और अन्य उम्मीदवारों के प्रभाव से समीकरण बदल सकते हैं। बाघमारा, गोमिया, बोकारो और चंदन कियारी जैसे क्षेत्रों में भी चुनावी मुकाबला कड़ा है, जहां जातीय और धार्मिक वोट बैंक निर्णायक साबित हो सकते हैं। इसके अलावा, झरिया और धनबाद में भी कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है, जहां पार्टी内部 विवाद और स्थानीय नेताओं का प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। कुल मिलाकर, झारखंड में इस बार के चुनाव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच संघर्ष निर्णायक हो सकता है।
कोडरमा
कोडरमा क्षेत्र में शालिनी गुप्ता, जो पिछले चुनाव में 45,000 वोट लेकर आई थीं, इस बार भी प्रमुख दावेदार के तौर पर उभर रही हैं। वे डुमचाज से आती हैं और भाषणों में प्रभावी मानी जाती हैं। इस बार इलाके में लालू यादव के प्रभाव से समीकरण बदलने की संभावना है। नीरा यादव, जो इस बार शालिनी गुप्ता से कड़ी टक्कर की उम्मीद कर रही हैं, के साथ सुभाष यादव का बढ़ता हुआ प्रभाव भी इस सीट पर निर्णायक साबित हो सकता है।
धनवार
धनवार सीट पर बाबूलाल मरांडी की स्थिति भी चर्चा में है। कार्यकर्ताओं की नाराजगी और एनडीए के भीतर की राजनीति ने चुनावी समीकरण को जटिल बना दिया है। हालांकि, निरंजन राय के नेतृत्व में भूमिहार वोटरों को मनाने की कोशिश की जा रही है, जिससे बीजेपी को फायदा मिल सकता है।
बगोदर, डुमरी और बेरमो
इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। जयराम महतो की पार्टी का प्रभाव इन क्षेत्रों में बड़ा बदलाव ला सकता है। विशेष रूप से, बगोदर में डॉक्टर सलीम अंसारी की एंट्री ने मुकाबला और भी कड़ा बना दिया है। मुस्लिम और आदिवासी वोटों का समीकरण यहां निर्णायक हो सकता है।
डुमरी सीट पर जयराम महतो का उम्मीदवार होने से चुनाव और भी दिलचस्प हो गया है। यहां यशोदा देवी और बेबी देवी के बीच मुस्लिम और आदिवासी वोटों का बंटवारा महत्वपूर्ण होगा, जबकि जयराम महतो की युवा वर्ग में लोकप्रियता और रोजगार के मुद्दे पर उनकी मजबूती से यह सीट और भी कड़ी हो सकती है।
बेरमो और टुंडी में भी मुकाबला टाइट है। बेरमो में जयराम महतो का असर दिख रहा है, जबकि टुंडी में मथुरा महतो की स्थिति मजबूत होती जा रही है। यहां मुस्लिम वोटों का बंटवारा भी निर्णायक हो सकता है।
बाघमारा
बाघमारा सीट पर शत्रुगन मेहतो, जलेश्वर मेहतो, दीपक रवानी और रोहित यादव के बीच मुकाबला हो रहा है। पिछले चुनाव में जलेश्वर मेहतो महज 824 वोटों से हार गए थे, लेकिन इस बार उनकी जीत की उम्मीद है। जेएलकेएम ने दीपक रवानी को उम्मीदवार बना दिया है और निर्दलीय रोहित यादव भी मैदान में हैं। बाघमारा में यादव और मुस्लिम वोटरों की संख्या अधिक है, साथ ही शेड्यूल ट्राइब्स और अन्य महत्वपूर्ण वर्गों के वोट भी निर्णायक साबित हो सकते हैं।
गोमिया
गोमिया सीट पर लंबे समय तक विधायक रहे लम्बोदर महतो और जोगेंद्र महतो के बीच कड़ा मुकाबला हो सकता है। जोगेंद्र महतो का जनता में अच्छा प्रभाव है, और वह चुनावी सभाओं में यह कह रहे हैं कि उनके साथ साजिश हुई है। इसके अलावा, पूजा महतो ने युवा वोटरों को गोलबंद किया है। इस सीट पर आजसू को थोड़ी बढ़त मिल सकती है।
बोकारो और चंदन कियारी
बोकारो में जेल केएम का प्रभाव दिखाई दे रहा है, लेकिन कांग्रेस के बिरंज नारायण भी मैदान में हैं। यहां एनडीए को थोड़ा सा बढ़त मिलती हुई दिख रही है, हालांकि एंटी-इनकंबेंसी भी काम कर सकती है।
चंदन कियारी में नेता प्रतिपक्ष अमर बावरी का मुकाबला टाइट है, लेकिन उनका प्रमुख विरोधी उमाकांत रजक है, जिन्होंने अपना टिकट कटने के बाद जेएमएम का दामन थामा। यहां चुनावी परिणाम का अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन एनडीए को थोड़ी सी बढ़त मिल सकती है।
झरिया
झरिया में रागिनी और पूर्णिमा नीरज सिंह के बीच कड़ा मुकाबला है। पिछले चुनाव में नीरज सिंह का पलड़ा भारी था, लेकिन इस बार रागिनी सिंह के पक्ष में स्थितियां बदलती हुई दिखाई दे रही हैं। इस सीट पर जेएलकेएम के मोहम्मद रुस्तम अंसारी के वोट भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं। इसलिए यहां भी टाइट फाइट की संभावना है, हालांकि रागिनी सिंह को थोड़ी बढ़त मिल सकती है।
धनबाद
धनबाद में कांग्रेस के आंतरिक विवाद ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया है। बीजेपी के प्रत्याशी राज सिन्हा की लोकप्रियता और मजबूत कनेक्टिविटी ने एनडीए को इस सीट पर बढ़त दिलाई है। कांग्रेस का आंतरिक विभाजन यहां प्रमुख भूमिका निभा सकता है, जिससे एनडीए को फायदा हो सकता है।
सिल्ली और खिजरी
सिल्ली में सुदेश महतो की स्थिति मजबूत है, जबकि खिजरी में राजेश कच्छप का भी अच्छा प्रभाव है। खिजरी सीट पर जेएलकेएम और कांग्रेस के विभिन्न उम्मीदवारों के बीच मुकाबला चल रहा है, लेकिन राजेश कच्छप को वोटर्स का अच्छा समर्थन मिल सकता है। सिल्ली सीट पर सुदेश महतो की बढ़त दिखाई दे रही है, हालांकि विपक्षी दलों ने उनका मुकाबला किया है।
रांची
रांची सीट पर पिछले चुनाव में कड़ी टक्कर थी, लेकिन इस बार सीपी सिंह के रोड शो ने उनकी स्थिति को मजबूत किया है। उनका प्रभाव और वोटर्स से कनेक्टिविटी ने उन्हें बढ़त दिलाई है, और यह सीट एनडीए के खाते में जाती हुई दिखाई दे रही है।
कांके और हटिया
कांके में समरी लाल का टिकट कटने के बाद बीजेपी की स्थिति मजबूत होती दिख रही है, जबकि हटिया में अजय नाथ यादव और नवीन जैसवाल के बीच टाइट फाइट हो सकती है। दोनों उम्मीदवारों में से कोई भी बाजी मार सकता है, लेकिन अजय नाथ यादव को थोड़ा ज्यादा समर्थन मिल सकता है।
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, झारखंड चुनाव 2024 में कई सीटों पर कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है। जातीय, धार्मिक और राजनीतिक समीकरण इस बार के चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं। एनडीए को कुछ सीटों पर बढ़त मिलती हुई दिख रही है, लेकिन इंडिया गठबंधन भी अपनी ताकत दिखा रहा है। परिणाम पूरी तरह से मतदान और बाद की स्थिति पर निर्भर करेंगे, और राज्य की राजनीति में बड़ा बदलाव आ सकता है।