रांची: झारखंड हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए धार्मिक न्यास बोर्ड द्वारा बनाई गई पहाड़ी मंदिर कमेटी को भंग कर दिया है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अब मंदिर का संचालन और विकास कार्य डीसी (उपायुक्त) की अध्यक्षता वाली पहाड़ी मंदिर विकास समिति द्वारा ही किया जाएगा।
मामले की सुनवाई के दौरान, पहाड़ी मंदिर विकास समिति ने न्यास बोर्ड के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें बोर्ड ने मंदिर की मौजूदा समिति को भंग कर एक नई कमेटी का गठन किया था। विकास समिति के वकील ने कोर्ट में बताया कि वर्ष 1992 से यह समिति मंदिर के जीर्णोद्धार और विकास कार्यों में संलग्न है। यह एक रजिस्टर्ड समिति है, जिसे आयकर अधिनियम के तहत छूट भी प्राप्त है। हर वर्ष समिति द्वारा आय-व्यय का विवरण प्रस्तुत किया जाता है और इसका ऑडिट भी किया जाता है।
समिति का तर्क था कि इसका धार्मिक न्यास बोर्ड से कोई संबंध नहीं है, फिर भी बोर्ड ने बिना किसी ठोस कारण के इसे भंग कर दिया। इसके अलावा, समिति भंग करने से पहले कोई प्रस्ताव भी पास नहीं किया गया था। बोर्ड के अध्यक्ष ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर यह फैसला लिया, जो कानूनी रूप से गलत है।
कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद, बोर्ड द्वारा गठित नई 11 सदस्यीय कमेटी को भंग कर दिया और पहाड़ी मंदिर विकास समिति को मंदिर के संचालन और विकास का काम जारी रखने की अनुमति दी।
यह फैसला मंदिर प्रशासन और धार्मिक संगठनों के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है।