रांची: झारखंड में फर्जी बैंक गारंटी के आधार पर शराब दुकानों में मैनपावर आपूर्ति का ठेका लेकर किए गए लगभग 38 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच रही है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने इस मामले में शामिल दोनों प्लेसमेंट एजेंसियों – मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसल्टेंसी (गुजरात) और मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड (महाराष्ट्र) – के सात फरार निदेशकों की संपत्ति कुर्क करने की तैयारी कर ली है।
ACB को अब तक नहीं मिली गिरफ्तारी में सफलता:
पिछले महीने ACB ने रांची स्थित विशेष अदालत से इन सात निदेशकों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट हासिल किया था, लेकिन अब तक सभी आरोपी फरार हैं। ACB की टीम पहले गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र जाकर छापेमारी कर चुकी है, लेकिन अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। अब कुर्की जब्ती के लिए अदालत से अनुमति मांगी गई है।
फरार आरोपी निदेशक:
मेसर्स विजन हॉस्पिटैलिटी सर्विस एंड कंसल्टेंसी (गुजरात):
विपिन जादवभाई परमार
महेश शेडगे
परेश अभेसिंह ठाकोर
विक्रम सिंह ठाकोर
मेसर्स मार्शन इनोवेटिव सिक्योरिटी सर्विसेज प्रा. लि. (महाराष्ट्र):
जगन तुकाराम देसाई
कमल जगन देसाई
शीतल जगन देसाई
अब तक केवल एक गिरफ्तारी:
अब तक इस घोटाले में ACB ने केवल मार्शन एजेंसी के स्थानीय प्रतिनिधि नीरज कुमार सिंह को गिरफ्तार किया है। बाकी सात आरोपी अभी भी फरार हैं।
घोटाले में अफसरों की भी संलिप्तता:
इस घोटाले में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग के पूर्व संयुक्त आयुक्त गजेंद्र सिंह और पूर्व प्रधान सचिव विनय कुमार चौबे को भी 20 मई को गिरफ्तार किया गया था। वर्तमान में दोनों जमानत पर बाहर हैं। गजेंद्र सिंह प्रतिदिन विभागीय कार्यालय जा रहे हैं, लेकिन उन्हें फिलहाल कोई काम नहीं सौंपा गया है। बताया जा रहा है कि वे विशेषज्ञों से सलाह लेकर ट्रायल की तैयारी कर रहे हैं।
आगे की कार्रवाई:
जैसे ही अदालत से कुर्की जब्ती की अनुमति मिलेगी, ACB की टीम फिर से गुजरात और महाराष्ट्र जाकर संपत्तियों को कुर्क करेगी और कानूनी दबाव बढ़ाएगी।