रांची: झारखंड में पहली बार विधानसभा चुनाव पूरी तरह हिंसा मुक्त हुआ। इस बार केवल 8 दिनों में, दो चरणों में मतदान संपन्न हुआ। 20 नवंबर को मतदान प्रक्रिया समाप्त हुई और 23 नवंबर को मतगणना के बाद परिणाम घोषित किए जाएंगे। कुल 1211 उम्मीदवारों के बीच मुकाबले में 81 सीटों पर जनता का फैसला सुरक्षित है।
सबसे कम समय में चुनाव, बढ़ा मतदान प्रतिशत
2005 से अब तक हुए पांच विधानसभा चुनावों में यह सबसे कम समय में सम्पन्न हुआ चुनाव है। 2005 में तीन चरण और 2009, 2014, 2019 में पांच चरणों के मुकाबले इस बार सिर्फ दो चरणों में वोटिंग हुई। साथ ही, इस बार 69.38% मतदान हुआ, जो पिछले चुनावों की तुलना में सर्वाधिक है। 2019 में यह आंकड़ा 65.18% था।
प्रचार में भाजपा का दबदबा, हेमंत और कल्पना की चुनौती
चुनावी प्रचार में भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और कई केंद्रीय मंत्रियों के जरिए जोरदार प्रचार किया। इंडिया गठबंधन की ओर से हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन ने करीब 100 सभाएं कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
नया दल और चुनावी समीकरण
झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जयराम महतो के नेतृत्व में) ने पहली बार चुनाव में भाग लिया और कुछ सीटों पर प्रभावी प्रदर्शन किया। हालांकि, एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच सीधा मुकाबला रहा।
मुद्दों का असर सीमित, ध्रुवीकरण कमजोर
भाजपा ने बांग्लादेशी घुसपैठ और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया, जबकि झामुमो ने जल-जंगल-जमीन पर अपनी पुरानी रणनीति को अपनाया। हालांकि, इन मुद्दों का व्यापक असर नहीं दिखा। जातीय और पारंपरिक समीकरण ही निर्णायक साबित हुए।
न एंटी इनकंबेंसी, न प्रो इनकंबेंसी
पांच साल सत्ता में रही इंडिया गठबंधन सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी लहर नजर नहीं आई। साथ ही, एनडीए के प्रति भी कोई विशेष प्रो इनकंबेंसी भावना दिखाई नहीं दी।
गठबंधन की एकता बरकरार
एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच गठबंधन की एकता चुनावी प्रक्रिया के दौरान बनी रही। हालांकि, कुछ सीटों पर इंडिया गठबंधन के घटक दलों में दोस्ताना संघर्ष हुआ, लेकिन इसका व्यापक असर अन्य क्षेत्रों पर नहीं पड़ा।
चुनाव शांतिपूर्ण और लोकतंत्र की जीत
2005 से 2019 तक हुए चुनावों की तुलना में यह पहली बार हुआ जब मतदान प्रक्रिया के दौरान कोई बड़ी हिंसक घटना नहीं हुई। ग्रामीण क्षेत्रों में भारी मतदान लोकतंत्र की खूबसूरती को दर्शाता है।