गोंदलपुरा खनन परियोजना शुरू होने से भरेगा झारखंड का खजाना

रांची: झारखंड के पास इतना कोयला है कि यह राज्य उड़ीसा और छत्तीसगढ़ को कमाई में पीछे छोड़ सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब यहां कोयले का उत्पादन बढ़ाया जाए. साथ ही आवंटित कोल ब्लॉकों में जल्द से जल्द खनन शुरू की जाए. झारखंड में अगर कोयला के उत्पादन की बात करें तो 2022 में यहां 130.104 टन मिलियन कोयले का उत्पादन हुआ था. जबकि 2021 में 123.428 टन मिलियन कोयला निकाला गया था. 2019 में कोयले का उत्पादन 134.666 टन मिलियन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया था. देश भर की बात करें तो आधुनिक तकनीकों के प्रयोग पर अधिक जोर देने से  2021-22 में कोयले का उत्पादन 778.21 मिलियन टन तक बढ़ गया था. वहीं 2022-23 के दौरान कोयले का उत्पादन 14.76% की वृद्धि के साथ 893.08 मीट्रिक टन था. कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) और उसकी सहायक कंपनियों ने 2020-21 में 596.22 मीट्रिक टन और 2021-22 के दौरान 4.4% की वृद्धि करते हुए 622.63 मीट्रिक टन का उत्पादन किया. 2022-23 के दौरान कोल इंडिया लिमिटेड का कोयला उत्पादन 12.94% की वृद्धि के साथ 703.21 मीट्रिक टन रहा.

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डीएमएफटी से हुई है झारखंड को अच्छी आमदनी

देश के चार राज्यों में कोयला उत्पादन का आंकड़ा देखें तो 80 फीसदी कुल कोयला उत्पादन में से छत्तीसगढ़ की हिस्सेदारी करीब 22%, उड़ीसा की 21%, मध्य प्रदेश की 18% और झारखंड की लगभग 17% फ़ीसदी है. डीएमएफटी (डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड ट्रस्ट) की बात करें तो देश में जितने पैसे इस फंड के तहत विभिन्न राज्यों को मिले हैं, उसमें सर्वाधिक आमदनी वाले शीर्ष तीन राज्यों में से झारखंड भी शामिल है. कोकिंग कोल के उत्पादन में झारखंड शीर्ष पर है. हालांकि, ओवरऑल कोयला उत्पादन में झारखंड चौथे स्थान पर है. छत्तीसगढ़ पहले, दूसरे स्थान पर उड़ीसा और तीसरे स्थान पर मध्यप्रदेश है. झारखंड ने पिछले 119.226 मीट्रिक टन कोयला उत्पादन किया है और चौथे नंबर पर है.

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एक कोयला खान से पांच से 10 हजार लोगों को मिलेगा रोजगार

कोयला बहुत क्षेत्र हजारीबाग के बड़कागांव में आवंटित कोल ब्लॉकों में जल्द खनन शुरू होने से राज्य सरकार को राजस्व का अतिरिक्त लाभ होगा, जबकि यहां रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे. खान विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक कोल ब्लॉक से औसतन पांच से दस हजार लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार का अवसर मिलता है, जिसमें आसपास खुलने वाली दुकानें, डंपर संचालक और अन्य व्यवसाय आदि शामिल हैं. बड़कागांव में एनटीपीसी, एनएमडीसी, अदाणी और जेसडब्ल्यू समेत अन्य निजी कंपनियों को भारत सरकार की ओर से कोयला मंत्रालय ने कोयला खान आवंटित किया है. यहां खनन शुरू होने से इलाके की तस्वीर बदलेगी और विकास के नए आयाम दिखेंगे. स्थानीय स्तर पर रोजगार के असीम मौके मिलेंगे और राज्य सरकार को भी राजस्व का बड़ा लाभ होगा. सिर्फ अदाणी इंटरप्राइजेज के गोंदलपुरा खनन परियोजना के शुरू होने से राज्य सरकार को करीब 600 करोड़ रुपये का राजस्व हर साल मिलेगा. इतनी बड़ी रकम का इस्तेमाल स्थानीय स्तर पर आधारभूत संरचना को विकसित करने, शिक्षा और स्वास्थ्य के साथ-साथ बेहतर जीवन उपलब्ध कराने के लिए किया जा सकेगा. कोयला खनन शुरू होने से अवैध कोयले की तस्करी पर भी लगाम लगेगी. एक आंकड़े के मुताबिक, झारखंड से हर रोज करीब 530 ट्रक अवैध कोयला निकलता है. यह सारे कोयले की चोरी बंद पड़ी खदानों या उत्खनन की अधिकारिक रूप से बाट जोह रही खदानों से होती है, जिसमें फॉरेस्ट लैंड भी शामिल है. इससे सरकार को राजस्व की भारी होनी होती है.

देश को बिजली उत्पादन के लिए बाहर से मंगवाना पड़ता है कोयला

गर्मी के समय में झारखंड समेत देश भर में बिजली की खपत बढ़ी है. कोयला कंपनियों पर उत्पादन बढ़ाने का दबाव है. आंकड़ों के मुताबिक 2023-24 के लिए एक हजार मिलियन टन कोयला उत्पादन का लक्ष्य कोल इंडिया समेत अन्य कंपनियों ने रखा है. हालांकि, भारत सरकार को अभी भी सिर्फ बिजली की जरूरत पूरा करने के लिए 100 मिलियन टन के आसपास कोयला विदेशों से मंगवाना पड़ रहा है. झारखंड की बात करें तो यहां गर्मी आते ही पावर प्लांटों में कोयले की कमी हो जाती है, जिस कारण लोगों को बिजली की समस्या से परेशान होना पड़ता है. हजारीबाग में तो खासकर बिजली की समस्या विकराल रूप ले लेती है. ऐसे में जल्द खनन शुरू होने से बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी और आम लोगों को काफी राहत मिल सकेगी.

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