रांची: झारखंड में चुनावी माहौल और भी गर्म हो गया है, क्योंकि झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) आज अपना बहुप्रतीक्षित चुनावी घोषणा पत्र जारी कर सकती है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस घोषणा पत्र में सात प्रमुख गारंटियों के साथ कई नई योजनाओं का ऐलान किया जाएगा। इनमें सबसे प्रमुख मुद्दा 1932 खतियान आधारित नियुक्ति नियमावली का है, जिसे झारखंडी अस्मिता और स्थानीयता के संरक्षण के लिए अहम माना जा रहा है।
जेएमएम की ओर से जारी होने वाले घोषणा पत्र में युवाओं, किसानों, महिलाओं और श्रमिक वर्ग को साधने की कोशिश की जाएगी। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने संकेत दिया कि 1932 खतियान आधारित नीति के अलावा, रोजगार गारंटी, किसानों की कर्जमाफी, महिला सशक्तिकरण, और स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके साथ ही, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़े वर्गों के लिए विशेष योजनाओं का भी ऐलान संभव है।
घोषणा पत्र जारी होने से पहले ही भाजपा ने जेएमएम पर निशाना साधते हुए कहा है कि यह घोषणा पत्र भी पिछले चुनावी वादों की तरह झूठ का पुलिंदा होगा। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कहा, “जेएमएम ने पिछले चुनावों में भी कई बड़े वादे किए थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद जनता को सिर्फ निराशा ही हाथ लगी। इस बार जनता जेएमएम के झूठे वादों में नहीं फंसेगी।भाजपा ने झारखंड में अपनी वापसी का दावा करते हुए कहा कि राज्य में विकास, रोजगार, और बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए भाजपा की सरकार जरूरी है।
पार्टी ने “परिवर्तन की लहर” का दावा करते हुए कहा कि जनता इस बार भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ वोट करेगी।1932 खतियान आधारित नियुक्ति नीति झारखंड के चुनावी परिदृश्य में सबसे बड़ा मुद्दा बन चुका है।
जेएमएम इस नीति को झारखंडियों के अधिकार और स्थानीय पहचान से जोड़ रही है। भाजपा ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जेएमएम ने अपने कार्यकाल में इस मुद्दे पर ठोस कदम नहीं उठाए।जेएमएम का घोषणा पत्र जारी होने के बाद राज्य की चुनावी राजनीति में नई दिशा देखने को मिलेगी। जनता के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि जेएमएम की गारंटियों पर वे कितना भरोसा करते हैं और भाजपा के परिवर्तन के दावों पर कितना भरोसा जताते हैं। झारखंड में सत्ता की कुर्सी के लिए यह चुनाव दोनों पार्टियों के लिए बेहद अहम है। अब यह देखना होगा कि किसका वादा जनता के दिलों में जगह बनाता है।