बिना सेनापति के चुनाव लड़ेगा जेएमएम

बिना सेनापति के चुनाव लड़ेगा जेएमएम

रांची: हेमंत सोरेन के जेल जाने के बाद जेएमएम के अंदर सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. देवरानी-जेठानी और देवर के बीच चल रहे टकराव के बाद यह स्थिति स्पष्ट हो गई है कि इस बार जेएमएम शिबू सोरेन के नेतृत्व में चुनाव लड़ सकता है.

सक्रिय राजनीति से लगभग 10 सालों से दूर रह रहे शिबू सोरेन जेएमएम की नैया को कितना पार लगाते हैं यह देखने वाली बात होगी. पार्टी का एक धड़ा कल्पना सोरेन को पार्टी के नेता के रुप में आगे जरुर कर रहा है लेकिन अभी भी कल्पना सोरेन पर आम सहमति बनना बाकी है.

दूसरी ओर सीता सोरेन कई स्तरों पर कल्पना सोरेन से पहले खुद का अधिकार पार्टी पर जता चुकी है. ऐसे परिस्थिति में देवरानी-जेठानी किसी पर पार्टी एकमत होती नहीं दिख रही है. जहां तक बसंत सोरेन का सवाल है तो बसंत सोरेन को लेकर पार्टी में कई स्तरों में फूट है.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि खुद शिबू सोरेन भी बसंत सोरेन के हाथ में चुनावी बागडोर सौंपना नहीं चाहते हैं जो परिस्थितियां बन रही है उससे ऐसा ही प्रतीत होता है कि शिबू सोरेन खुद आगे आएँगे और चुनावी बागडेर संभालेंगे. ईडी ने जिन धाराओं के आधार पर हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किया है उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि हेमंत सोरेन को जल्दी जमानत मिलने वाली नहीं है.

विपक्षी गठबंधन में अभी तक चंपाई सोरेन ही जेएमएम का चेहरा हैं. और उन्हीं के द्वारा अभी तक गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई है.

लेकिन सूत्र बता रहे हैं गटबंधन सरकार में चंपाई सोरेन अब सर्वमान्य नेता नहीं है. मंत्रिमंडल में शामिल कांग्रेस कोटे के मंत्री अपने मंत्रालय में सीएमओ की दखल से खासे नाराज हैं.

इस बात की संभावना जताई जा रही है कि आज होने वाले कैबिनेट की बैठक में कांग्रेस कोटे के मंत्री शामिल नहीं होंगे, ऐसे में चुनाव के दौरान जेएमएम का नेतृत्व कौन करेगा ये देखने वाला विषय है.

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