Thursday, September 4, 2025

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जेपीएससी नियुक्ति मामला: हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, कहा– अंतिम आदेश से प्रभावित होगी नियुक्ति

झारखंड हाईकोर्ट ने जेपीएससी नियुक्ति मामले में एक सप्ताह में जवाब मांगा। अदालत ने कहा, अंतिम आदेश से सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी।


रांची: झारखंड हाईकोर्ट में मंगलवार को जेपीएससी की ओर से आयोजित 11वीं संयुक्त सिविल सेवा परीक्षा के परिणाम और नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई हुई। यह मामला नियुक्ति प्रक्रिया में नियमावली का सही तरीके से पालन नहीं किए जाने से जुड़ा है।

मुख्य न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश राजेश शंकर की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान कड़ा रुख अपनाते हुए जेपीएससी को एक सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि यदि आयोग इसके बाद भी जवाब दाखिल नहीं करता है, तो उसे आगे अवसर नहीं मिलेगा।

जेपीएससी नियुक्ति मामला: हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, कहा– अंतिम आदेश से प्रभावित होगी नियुक्ति
जेपीएससी नियुक्ति मामला: हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, कहा– अंतिम आदेश से प्रभावित होगी नियुक्ति

अदालत ने यह भी टिप्पणी की कि यदि सरकार नियुक्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाती है, तो हाईकोर्ट के अंतिम आदेश का असर उस नियुक्ति पर पड़ेगा। यानी नियुक्तियां अस्थायी रह सकती हैं और कोर्ट का फैसला उन्हें प्रभावित करेगा।


Key Highlights

  • जेपीएससी की नियुक्ति प्रक्रिया पर हाईकोर्ट ने जताई नाराजगी।

  • आयोग को एक सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश।

  • सरकार की नियुक्ति प्रक्रिया अंतिम आदेश से प्रभावित होगी।

  • याचिकाकर्ताओं का आरोप: अनुभवहीन शिक्षकों से कराया गया मूल्यांकन।

  • परीक्षा परिणाम रद्द करने की मांग उठी।


याचिकाकर्ताओं का आरोप

मामले में याचिकाकर्ता राजेश प्रसाद और अयूब तिर्की सहित अन्य ने कहा है कि 11वीं जेपीएससी परीक्षा में मूल्यांकन प्रक्रिया पूरी तरह नियमविरुद्ध रही।

  • नियमानुसार कॉपी जांचने वाले शिक्षकों के पास कम से कम 10 साल कॉलेज स्तर पर या 5 साल पीजी कॉलेज स्तर पर पढ़ाने का अनुभव होना चाहिए।

  • इसके बावजूद केवल डेढ़ साल अनुभव वाले घंटी आधारित शिक्षकों से कॉपियों का मूल्यांकन कराया गया।

  • यह न केवल नियम का उल्लंघन है, बल्कि परिणाम की निष्पक्षता पर भी सवाल उठाता है।
    इस आधार पर याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा परिणाम को निरस्त करने की मांग की है।

अदालत की टिप्पणी

सुनवाई के दौरान अदालत ने आयोग की चुप्पी पर असंतोष जताया। न्यायाधीशों ने स्पष्ट कहा कि संवैधानिक संस्थान होते हुए भी जेपीएससी का जवाब न देना न्यायिक प्रक्रिया का अनादर है। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि यदि नियमों का उल्लंघन सिद्ध होता है तो नियुक्ति प्रक्रिया रद्द भी हो सकती है।

अगली सुनवाई

मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी। तब तक आयोग को जवाब दाखिल करना होगा। इस बीच सरकार यदि नियुक्तियां करती है तो वह कोर्ट के अंतिम आदेश के अधीन होंगी।

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