रांची: झारखंड हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य के विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर और कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर अहम सुनवाई हुई। याचिका कर्ता अनिकेत ओहदार द्वारा दाखिल इस याचिका में मांग की गई थी कि विश्वविद्यालयों में संविदा के बजाय नियमित नियुक्ति की जाए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से स्पष्ट पूछा था कि आखिर कब तक विश्वविद्यालयों में संविदा पर शिक्षक और गैर-शैक्षणिक कर्मियों की बहाली होती रहेगी।
सुनवाई के दौरान झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने कोर्ट को बताया कि अभी तक केवल कुछ विश्वविद्यालयों से ही अधियाचना प्राप्त हुई है। कुल 437 पदों पर नियुक्ति के लिए अधियाचना आई है, जबकि कई विश्वविद्यालयों ने अब तक कोई अधियाचना नहीं भेजी है। आयोग ने स्पष्ट किया कि नए सिरे से असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया जाएगा। साथ ही यह भी जानकारी दी गई कि जेपीएससी को नया चेयरमैन मिल गया है और जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।
कोर्ट ने सभी विश्वविद्यालयों को निर्देश दिया कि वे नियुक्ति प्रक्रिया की वर्तमान स्थिति की स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। मामले की अगली सुनवाई अब 24 जुलाई को होगी।
इस बीच, जेपीएससी प्रथम नियुक्ति घोटाले में छह आरोपियों ने गुरुवार को सीबीआई कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। इन आरोपियों को पूर्व में हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी। सभी ने 10-10 हजार रुपये के मुचलके पर जमानत ली। ज्ञात हो कि इस बहुचर्चित घोटाले में 12 साल बाद सीबीआई ने पिछले साल चार्जशीट दाखिल की थी।