Ranchi: झारखंड हाईकोर्ट (Jharkhand High Court) में गुरुवार को हुई एक घटना अब बड़े कानूनी मसले का रूप ले चुकी है। अदालत में जज और वकील के बीच तीखी नोकझोंक के बाद शुक्रवार को हाईकोर्ट की पांच जजों की बेंच ने मामले में सुनवाई शुरू की। इस दौरान कोर्ट ने अधिवक्ता महेश तिवारी से- उनके खिलाफ अवमानना कार्रवाई क्यों नहीं की जाए?..इस संबंध में स्पष्टीकरण मांगा है।
पांच जजों की बेंच ने लिया संज्ञान :
घटना को गंभीरता से लेते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने स्वतः संज्ञान (Suo Motu) लेते हुए जज-वकील बहस मामले में सुनवाई शुरू की। बेंच ने वकील महेश तिवारी को तीन सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
मामला क्या है?
16 अक्टूबर को एक याचिका की सुनवाई के दौरान जस्टिस राजेश कुमार और अधिवक्ता महेश तिवारी के बीच बहस के दौरान माहौल गर्म हो गया। जानकारी के अनुसार जस्टिस राजेश कुमार द्वारा की गई एक “सामान्य टिप्पणी” पर वकील तिवारी ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और कहा-“देश जल रहा है। देश न्यायपालिका के साथ जल रहा है।” इस बहस का वीडियो कोर्ट की लाइव स्ट्रीमिंग से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसके बाद न्यायालय प्रशासन ने वह लिंक हटा लिया।
वायरल वीडियो से हटाया गया लिंक:
वीडियो क्लिप के वायरल होने के बाद अदालत प्रशासन ने लाइव स्ट्रीम का लिंक हटा लिया। हालांकि इस बीच सोशल मीडिया पर इस क्लिप को लेकर कई तरह की चर्चाएं तेज हो गई। कुछ लोगों ने इसे “न्यायपालिका के प्रति असम्मान” बताया तो कुछ ने “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मुद्दा” करार दिया।
आगे क्या?
अदालत अब तीन सप्ताह बाद वकील द्वारा दाखिल जवाब पर विचार करेगी। तब तक के लिए इस मामले में सुनवाई स्थगित कर दी गई है। कानूनी जानकारों के अनुसार, यदि अदालत वकील की सफाई से संतुष्ट नहीं हुई, तो यह मामला कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई तक पहुंच सकता है।
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