कल्पना सोरेन ने शुरु की अपनी सियासी पारी, झारखंड की राजनीति में क्या होगा बदलाव ?

क्या कल्पना सोरेन को हेमंत सोरेन का जनसमर्थन मिल पाएगा ? क्या कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री से भाजपा के वोट बैंक पर असर पड़ेगा ? क्या अब शिबू सोरेन और हेमंत सोरेन के बाद कल्पना सोरेन ही संभालेंगी अब जेएमएम की कमान. आज झारखंड की राजनीति में इस तरह के तमाम सवाल सबके मन में चल रहे हैं.

आज झारखंड की राजनीति के लिए एक बड़ा दिन रहा. आज पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने झारखंड की सियासत में एंट्री ले ली है. कल्पना सोरेन ने झामुमो के स्थापना दिवस पर गिरिडीह से अपनी सियासी पारी की शुरुआत की.

कल्पना सोरेन के राजनीति में आने के बाद अब आगामी चुनावों में झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा.आज की इस वीडियो में जानेंगे कौन हैं कल्पना सोरेन, झारखंड की राजनीति में कल्पना सोरेन की एंट्री के क्या है मायने और क्या कल्पना कामयाब होंगी राजनीति में अपनी पैठ जमाने में.

झारखंड के राजनीतिक गलियारों में बीते 2 महीनों से कल्पना सोरेन के नाम की खूब चर्चा चल रही है. हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के अटकलों के बीच ही कल्पना सोरेन को झारखंड की मुख्यमंत्री बनाए जाने की खबरें सामने आने लगी थी .बीते 31 जनवरी को तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार किए जाने से लगभग एक महीने पहले गांडेय विधानसभा सीट से झामुमो विधायक सरफराज अहमद के इस्तीफा देने के बाद से ही कल्पना के राजनीतिक जीवन को लेकर अटकलें तेज हो गईं। जब हेमंत जेल चले गए तो सभी की निगाह फिर से कल्पना की तरफ टिक गई, हालांकि पारिवारिक दबाव के कारण कल्पना सीएम नहीं बन पाई.

लेकिन हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद कल्पना सोरेन झारखंड की जनता के बीच सक्रिय हो गई हैं हेमंत सोरेन के ट्वीटर हैंडल से कल्पना जनता से जुड़ती रहती है. अब तक कल्पना सोरेन की पहचान हेमंत सोरेन की पत्नी के रुप में थी, लेकिन आज राजनीति में प्रवेश करने के बाद कल्पना अपनी नई पहचान बनाएंगी.

लेकिन कौन हैं कल्पना सोरेन

कल्पना सोरेन के बैकग्राउंड की बात करें तो उनका जन्म साल 1976 में पंजाब के कपूरथला में हुआ था. कल्पना सोरेन के पिता भारतीय सेना के रिटायर्ड अधिकारी हैं, उनका नाम अम्पा मुर्मू है. कल्पना मूल रूप से ओडिशा के मयूरभंज की रहने वाली हैं. बता दें कि कल्पना सोरेन ने भुवनेश्वर से एमटेक और MBA किया है. कल्पना की संथाली, ओड़िया, हिंदी और अंग्रेजी जैसी भाषाओं पर अच्छी पकड़ है.

हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की शादी 7 फरवरी 2006 को हुई थी. वर्तमान में कल्पना रांची में एक प्ले स्कूल चलाती हैं. हेमंत और कल्पना के दो बच्चे हैं, जिनका नाम निखिल और अंश है.

राजनीतिक परिवार में शादी करने के बाद भी कल्पना सोरेन अब तक राजनीति में एक्टिव नहीं थी, लेकिन आज उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा ज्वाइन कर लिया और इसे जनता की मांग बताया.

कल्पना के गिरिडीह से जेएमएम ज्वाइन करने की खबर को लेकर एक्सपर्ट्स का मानना है कि कल्पना की सियासी एंट्री अचानक नहीं हुई है, इसकी तैयारी पहले से की जा रही थी. कल्पना सोरेन के गांडेय सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी चल रही है.

गांडेय विधानसभा क्षेत्र भी गिरिडीह जिले में ही हैं और कल्पना की सियासी एंट्री भी वहीं से हो रही है. और कल्पना सोरेन ओडिशा की हैं और ऐसे में उनके अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट से चुनाव लड़ने में परेशानी हो सकती थी. इसलिए कल्पना सोरेन के लिए सामान्य सीट गांडेय को खाली कराया गया। अब यह माना जा रहा है कि अगले कुछ महीने में होने वाले गांडेय उपचुनाव या फिर वर्ष 2024 के नवंबर-दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव में कल्पना सोरेन गांडेय सीट से चुनाव लड़ेंगी।

वहीं कल्पना सोरेन की राजनीति में एंट्री पर झारखंड की विपक्षी पार्टी भाजपा का कहना है कि गिरिडीह में कल्पना सोरेन के जाने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा.

लेकिन कल्पना सोरेन जहां भी जाएंगी, हेमंत सोरेन का नाम और चेहरा उनके साथ होगा. इसके अलावा कल्पना सोरेन के अपने व्यक्तित्व का भी प्रभाव पड़ना तय है. झारखंड की वर्तमान राजनीतिक हालात को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि राज्य का आदिवासी वोट बैंक का हेमंत सोरेन की तरफ झुकाव बढ़ रहा है, केंद्रीय जांच एजेंसियों का एसटी समुदाय लगातार विरोध कर रहे हैं. ऐसे में यह माना जा सकता है कि कल्पना सोरेन को झारखंड की एसटी वोटरों का साथ मिलेगा. हालांकि कल्पना की राह इतनी भी आसान नहीं होने वाली है, विपक्षी पार्टियां भी अपनी रणीतियों के साथ मैदान में उतरेंगी, ऐसे में यह आने वाला समय ही बता पाएगा कि कल्पना की राजनीतिक पारी कितनी सफल हो पाती है.

कल्पना सोरेन के लिए सबसे बड़ी चुनौती परिवारवाद का आरोप हो सकता है, कल्पना पर परिवारवाद के सहारे राजनीति में जगह पाने का आरोप लग सकता है. पीएम मोदी लगातार परिवारवाद को लेकर ऐसी पार्टियों पर निशाना साध रहे हैं, ऐसे में देखना होगा कि क्या परिवारवाद से बचकर कल्पना अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हो पाती हैं या नही.

 

 

 

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