Desk. कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) द्वारा भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच के लिए राज्यपाल थावर चंद गहलोत की मंजूरी को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। बताया जा रहा है कि हाईकोर्ट में इस मामले पर दोपहर 2:30 बजे सुनवाई होगी। वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया का पक्ष रखेंगे।
दरअसल, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की जांच के लिए राज्य के लोकायुक्त (लोकपाल) को राज्यपाल की मंजूरी ने राज्य में बड़े पैमाने पर राजनीतिक विवाद पैदा कर दिया है। भाजपा ने मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की है, वहीं कांग्रेस ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताकर खारिज कर दिया है।
बताया जा रहा है कि सिद्धारमैया मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान MUDA द्वारा अपनी पत्नी को प्रतिपूरक भूमि आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर जांच के दायरे में हैं। सिद्धारमैया के बहनोई मलिकार्जुन स्वामी देवराज पर भी कथित भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप है। इस मामले में MUDA के शीर्ष अधिकारियों पर भी आरोप है।
कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस राज्यपाल के हालिया फैसले को लेकर आमने-सामने हैं, जिससे उनकी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता तेज हो गई है। जहां भाजपा आरोपों पर मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रही है, वहीं कांग्रेस ने ऐसे किसी भी कदम से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि यह उनकी चुनी हुई सरकार को गिराने के लिए विपक्ष द्वारा रची गई साजिश है। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूरा मंत्रिमंडल मेरे साथ है। आलाकमान मेरे साथ है। सभी विधायक और विधान पार्षद मेरे साथ खड़े हैं।
क्या है MUDA भूमि घोटाला?
विवाद केसरू गांव में सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती के स्वामित्व वाली 3.16 एकड़ जमीन से जुड़ा है। यह भूमि MUDA द्वारा एक लेआउट के विकास के लिए अधिग्रहित की गई थी और पार्वती को 50:50 योजना के तहत मुआवजे के रूप में 2022 में विजयनगर में 14 प्रीमियम साइटें आवंटित की गईं थीं। हालांकि कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि पार्वती को आवंटित भूखंड की संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे MUDA द्वारा अधिग्रहित किया गया था।