नवादा : नवादा मॉडर्न शैक्षणिक समूह के संयुक्त तत्वावधान में संचालित गनौरी रामकली टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, इंडस्ट्रीयल एरिया पुलिस लाइन नवादा, त्रिवेणी कॉलेज ऑफ एजुकेशन, कुन्ती नगर नवादा, मॉडर्न इन्स्टीच्यूट ऑफ हायर एजुकेशन, इंडस्ट्रीयल एरिया, पुलिस लाईन, नवादा, मॉडर्न कॉलेज ऑफ एजुकेशन, कुन्ती नगर, नवादा तथा एसए कॉलेज, इन्डस्ट्रियल एरिया नवादा, त्रिवेणी कॉलेज ऑफ एजुकेशन (नर्सिंग), गुरो विन्दा कॉलेज ऑफ फार्मास्यूटिकल एवं साइंसेज पुलिस लाईन नवादा, के परिसर में संयुक्त रूप से पूर्व मुख्यमंत्री जननायक समाजसेवक कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जन्म जयंती हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया। सर्वप्रथम उनके प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित एवं माल्यार्पण किया गया। उपस्थित लोगों ने पुष्प अर्पित किया।
गनौरी रामकली टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज इंडस्ट्रीयल एरिया पुलिस लाइन नवादा के प्राचार्य डॉ. देवानंद सिन्हा ने सभी प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मानव सुन्दरता से नहीं बल्कि अपने कर्मों से महान होता है। उन्होंने बताया कि कर्पूरी ठाकुर का जन्म पितौरिया समस्तीपुर (बिहार) में हुआ था। उनके माता का नाम रामदुलारी देवी तथा पिता का नाम गोकुल ठाकुर था। अति गरीब परिवार में पैदा होने के बाद भी ऐसा कर्म किये जिसे हम भारतवासी कभी नहीं भुला सकते। उनके मार्ग पर चलकर जनता एवं देश का सेवा करने का संकल्प लेते हैं।
इन्हीं शब्दों के साथ मॉडर्न इन्स्टीच्यूट ऑफ हायर एजुकेशन इंडस्ट्रीयल एरिया पुलिस लाइन नवादा के प्राचार्य मनिराम सर ने बताया कि कर्म प्रधान विश्व करि राखा। जो जस करहिं सोई फल चाखा। कर्म प्रधान होता है उसका फल आज नहीं तो कल अवश्य मिलता है। तदोपरांत मॉडर्न शैक्षणिक समूह के सचिव तथा एसोसिएशन ऑफ टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टिचयूशन्स पटना (बिहार) के महासचिव डॉ. शैलेश कुमार ने उपस्थित जनसमूह तथा प्रशिक्षुओं को कर्पूरी ठाकुर के कृतित्व-व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए अपने उद्बोधन में कहा कि बिहार राज्य के दो बार मुख्यमंत्री चुने जाने वाले 11वें व्यक्ति थे, जिन्हें जननायक की उपाधि दिया गया जैसा कि इतिहास में वर्णित है।
आजादी से पहले दो बार एवं आजादी के वाद अठारह बार अपने देश के जनता के कारण जेल गए 1942 में असहयोग आंदोलन के समय महात्मा गांधी का भरपूर साथ दिए। बिहार राज्य में मुख्यमंत्री काल में शिक्षार्थियों के प्रति भी बहुत कार्य किए। उन्होंने माध्यमिक परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त किए तथा पिछड़े वर्ग, अनुसूचित वर्ग के बच्चों के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षण भी लागू किए जिसे कभी भूला नहीं जा सकता है। इस साहसिक और सामाजिक कार्य को देखकर हमारी भारत सरकार 100 साल बाद भी उन्हें याद किया। भारत का सर्वोच्च पुरष्कार ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने कि घोषणा कल किया गया।
इसलिए कहा गया है कि कर्मण्येवाधिकारेस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलषुहेतुर्भू माते संग्गोस्त्व कर्मणि। सचिव महोदय ने सत्य ही कहा कि जैसा करेंगे वैसा फल मिलेगा आज नहीं तो कल मिलेगा। इस शुभ अवसर पर गनौरी रामकली टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज के प्राचार्य डॉ. देवानन्द सिन्हा, प्रा. मनोज कुमार सिंह, अर्पिता कुमारी, मुन्नी देवी, रविचन्द्र, त्रिवेणी कॉलेज ऑफ एजुकेशन के विभागाध्यक्ष (एमएड) डॉ. कुमार अभिषेक, विभागाध्यक्ष (डीएलएड) डॉ. फिरंगी यादव, नवेन्दु धीरज, मनीष कुमार, मॉडर्न इन्स्टीच्यूट ऑफ हायर एजुकेशन के प्राचार्य मनिराम, राजित राम यादव, मॉडर्न कॉलेज ऑफ एजुकेशन के विभागाध्यक्ष देवकान्त, बृजेश कुमार और उक्त अवसर पर सभी प्रशिक्षण महाविद्यालयों के शिक्षकेत्तर कर्मचारीगण भी उपस्थित रहे।
अनिल शर्मा की रिपोर्ट