जानिए शेल कंपनी और लीज आवंटन मामले पर हाईकोर्ट में क्या हुआ

रांची : झारखंड हाईकोर्ट में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लीज आवंटित करने और शेल कंपनियों के मामले में सुनवाई हुई.

प्रार्थी शिव शंकर शर्मा के अधिवक्ता राजीव कुमार ओर से बहस की गई.

जिसमें उनकी ओर से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन,

प्रेस एडवाइजर अभिषेक उर्फ पिंटू, हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा,

व्यवसायी अमित अग्रवाल और सुरेश नागरे का नाम लेते हुए बताया गया कि

ये सभी लोग अवैध खनन से पैसे की उगाही कर शेल कंपनियों में निवेश करते हैं

और उसके जरिए देश के अन्य भागों में संपत्ति खरीदते है.

बालू खनन और स्टोन चिप्स के ये हैं किंगपिन

प्रार्थी की ओर से सुरेश नागरे का संबंध बसंत सोरेन से बताते हए कहा गया कि नागरे अवैध बालू खनन और स्टोन चिप्स का किंगपिन है. नगर का संबंध मुंबई के अबू आजमी के बेटे से है. इस बात की ज्यादा संभावना है कि इनके तार अंडरवर्ल्ड से भी जुड़े हो सकते हैं. इस दौरान प्रार्थी की ओर से शराब व्यवसाय का भी मुद्दा उठाते हुए योगेंद्र तिवारी, अमरेंद्र तिवारी और राज्य के कुछ आईएएस का भी नाम कोर्ट में लिया गया.

सुनवाई में मनरेगा घोटाला का भी हुआ जिक्र

कहा गया कि इनकी मिलीभगत से मनमाने तरीके से शराब का ठेका दिया गया. उनकी ओर से कई ऐसी शेल कंपनियों का जिक्र किया गया जिसके जरिए शराब ठेका में पैसे का निवेश किया गया है. इसका डिटेल भी दिया गया. इस दौरान प्रार्थी की ओर से खूंटी में हुए मनरेगा घोटाले में बहस करते हुए कहा गया कि मनरेगा एक्ट के तहत उपायुक्त ही मनरेगा स्कीम को लागू करने में हुई गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार होते हैं. तत्कालीन उपायुक्त पूजा सिंघल ने वित्तीय अनियमितता की. लेकिन उन्हें विभागीय जांच में क्लीन चिट दे दिया गया. जबकि इस मामले में जेई राम विनोद सिन्हा पर 16 प्राथमिकी दर्ज करा दी गई.

प्रार्थी की ओर से सिर्फ आरोप लगाए गए, दस्तावेज नहीं किए पेश- सिब्बल

प्रार्थी की ओर से बहस पूरी होने के बाद अब राज्य सरकार की ओर से वरीय अधिवक्ता कपिल सिब्बल पक्ष रख रहे हैं. उन्होंने बिंदुवार कोर्ट में पक्ष रखते हुए कहा कि प्रार्थी की ओर से सिर्फ आरोप लगाए गए हैं. उससे संबंधित कोई भी दस्तावेज कोर्ट में पेश नहीं किए गए हैं और न ही आरोपों का आधार बताया गया है. प्रार्थी ने प्रथम दृष्टया अभी कोई ऐसा दस्तावेज या आधार कोर्ट में पेश नहीं किया गया है. जिससे आरोप को माना जाए. ऐसे में सभी आरोप बिल्कुल निराधार हैं. हालांकि उनकी ओर से अभी बहस जारी है.

रिपोर्ट: प्रोजेश दास

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