नई दिल्ली : रक्षामंत्री- उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के संस्थापक
Highlights
मुलायम सिंह यादव का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया.
वे एक कुशल राजनीतिज्ञ थे. उन्होंने समाज और देशहित के लिए कई फैसले लिये.
सबसे कम उम्र में बने विधायक
जवानी के दिनों में पहलवानी का शौक रखने वाले मुलायम सिंह यादव पहले शिक्षक हुआ करते थे.
बाद में समाजवादी नेता राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित होकर राजनीति में आए.
1967 में सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर पहला चुनाव जीता और सबसे कम उम्र में
विधायक बनकर राजनीतिक करियर शुरू किया.
10 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे
मुलायम सिंह यादव 10 बार विधायक और 7 बार सांसद रहे हैं. वो देश के
रक्षा मंत्री भी रहे हैं. मुलायम 1 जून 1996 से 19 मार्च 1998 तक रक्षा मंत्री रहे हैं.
ये वो दौर था जब देश में राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था.
रक्षा मंत्री रहते हुए मुलायम सिंह यादव ने एक बड़ा और अहम फैसला लिया था.
रक्षामंत्री: क्या था वो फैसला?
आज अगर किसी शहीद सैनिक का शव सम्मान के साथ उनके घर पहुंच रहा है,
तो इसका श्रेय मुलायम सिंह यादव को ही जाता है.
आजादी के बाद से कई सालों तक अगर सीमा पर कोई जवान शहीद होता था,
तो उनका शव घर पर नहीं पहुंचाया जाता था.
उस समय तक शहीद जवानों की टोपी उनके घर पहुंचाई जाती थी.
लेकिन जब मुलायम सिंह यादव रक्षा मंत्री बने, तब उन्होंने कानून बनाया कि
अब से कोई भी सैनिक अगर शहीद होता है तो उसका शव सम्मान के साथ घर तक पहुंचाया जाएगा.
मुलायम सिंह यादव ने फैसला लिया था कि शहीद जवान का शव
पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनके घर पहुंचाया जाएगा.
डीएम और एसपी शहीद जवान के घर जाएंगे. मुलायम के रक्षा मंत्री रहते ही
भारत ने सुखोई-30 लड़ाकू विमान की डील की थी.
रक्षामंत्री: सुबह 8.16 बजे हुआ निधन
बता दें कि समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का सोमवार को गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में निधन हो गया. तबीयत बिगड़ने पर उन्हें एक अक्टूबर को आईसीयू में भर्ती कराया गया था. तब सपा संरक्षक का ऑक्सीजन लेवर नीचे आने लगा था. इसके अलावा उन्हें यूरिन संक्रमण, चेस्ट इंफेक्शन और सांस लेने में भी दिक्कत थी. मुलायम सिंह यादव ने मेदांता अस्पताल में सोमवार सुबह 8.16 बजे आखिरी सांस ली.