बेतिया : बेतिया में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जिंदा बच्चे को मृत बताकर डिस्चार्ज लेटर थमा दिया। जहां एक तरफ डॉक्टर को भगवान माना जाता है। वहीं दूसरी तरफ बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के लौरिया नगर पंचायत स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लौरिया में 24 मार्च की संध्या समय को ड्यूटी मे तैनात नर्स एवं डॉक्टर की घोर लापरवाही सामने आआ है। जहां डाॅक्टर व नर्स ने जन्मते बच्चे को मृत बताकर डिस्चार्ज लेटर थमाया। जबकि जांच में बच्चा जिंदा पाया गया।
अस्पताल ने जन्मते बच्चे को मृत बताकर डिस्चार्ज लेटर थमाकर उसे घर जाने को कहा
आगामी 24 मार्च को प्रसव पीड़ा पर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लौरिया में प्रसव कराने आई एक महिला को नर्स एवं डॉक्टर ने जन्मते बच्चे को मृत बताकर डिस्चार्ज लेटर थमाकर उसे घर जाने को कहा। जबकि वहीं मृत बच्चा एक निजी चिकित्सक केंद्र में जांच में बच्चा जिंदा पाया गया। यह अजीबोगरीब मामला प्रकाश में आया है। जानकारी के अनुसार, बीते 24 मार्च सोमवार को चौतरवा थाने के बसवरिया परसौनी गांव के वार्ड सात निवासी बहादुर बैठा की पत्नी ज्योती कुमारी अपने पहले बच्चे के प्रसव कराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लौरिया आई थी। करीब चार बजे शाम को अस्पताल में उन्हें नार्मल बच्चा डिलीवरी से हुआ। इस दौरान ड्यूटी पर तैनात नर्स एवं डॉक्टर ने जन्मते बच्चे को मृत घोषित करते हुए मरीज के परिजनों को पर्ची थमाकर डिस्चार्ज कर दिया।
बच्चा जब जन्म लिया उस समय बच्चा मुवमेंट कम कर रहा था – नर्स राधिका कुमारी
अस्पताल से बाहर निकलते ही परिजनों ने बच्चे की जांच हेतु नगर पंचायत लौरिया के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया जहां बच्चा अभी इलाजरत है और चिकित्सकों की मानें तो खतरे से बाहर है। वहीं ड्यूटी पर तैनात नर्स राधिका कुमारी ने बताया कि बच्चा जब जन्म लिया उस समय बच्चा मुवमेंट कम कर रहा था। वहीं ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉ. अफरोज ने बताया कि मेडिकल स्टाफ एक साथ कई पेपर लेकर हस्ताक्षर कराने आते हैं, बगैर जांच किए मैंने दस्तखत कर दिया।
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मामले कि जानकारी मिली है, इस संबंध में जांच की जाएगी – प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. दिलीप कुमार
वहीं प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा. दिलीप कुमार ने बताया कि मामले कि जानकारी मिली है, इस संबंध में जांच की जाएगी। दोषी पाए जाने पर वरीय अधिकारी को सूचना दी जाएगी। इस मामले को लेकर क्षेत्र में चर्चाओं का बाजार गरम है। बगैर जांच के डॉक्टर ने डिस्चार्ज पर्ची पर हस्ताक्षर कैसे किया। इस संबंध में जदयू महिला नेता ने बताई कि यह लापरवाही का मामला है। इस मामले की जांच करते हुए दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। समय रहते परिजन नहीं गए रहते अन्य चिकित्सक के पास बच्चे को तो जिंदा बच्चे को दफन कर दिया जाता और दुनिया देखने आया बच्चा दफन हो गया रहता।
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दीपक कुमार की रिपोर्ट
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