Ranchi-सरकार द्वारा धनबाद बोकारो से भोजपुरी मगही को क्षेत्रीय भाषा की श्रेणी से हटवाने के बाद भी झारखंड में जारी भाषा विवाद रुकता नहीं दिख रहा है.
भाषा आन्दोलन में बढ़चढ़ कर भाग ले रहे देवेन्द्रनाथ महतो ने कहा है कि जिस प्रकार से राजद द्वारा इन भाषाओं को हटाये जाने का विरोध हो रहा है, इसे असंवैधानिक बताया जा रहा है उसके पीछे कोई तर्क नहीं है, क्योंकि इन भाषाओं को बिहार में ही भाषा का दर्जा प्राप्त नहीं है, बिहार में ये सभी भाषाएं महज एक बोली है, जब इन भाषाओं को बिहार में ही भाषा का दर्जा नहीं मिला तब किस आधार पर झारखंड में इसे थोपने की कोशिश की जा रही है. देवेन्द्रनाथ महतो ने भोजपुरी मगही की वकालत करने वालों पर तंज कसते हुए कहा कि यह तो वही बात हो गयी कि बाप से अधिकार मिला नहीं काका से मांगा जा रहा है अधिकार.
इसके साथ ही इन भाषाओं को बाहर का रास्ता दिखलाये जाने को महज एक चौंका बतलाया और कहा कि अभी जीत बाकी है, जब तक झारखंड के सभी जिलों से इन भाषाओं को बाहर का रास्ता नहीं दिखला दिया जाता तब तक हमारी लड़ाई अधूरी है, हमें एक बड़े आन्दोलन के लिए तैयार रहना होगा.
देवेन्द्र नाथ महतो ने बेहद आक्रामक रुख का परिचय देते हुए हेमंत सोरेन के चेतावनी दी है कि आपको वोट ये भोजपुरी मगही बोलने वाले नहीं देते हैं, आप हम झारखंडियों के वोट से सत्ता तक पहुंचते है, इसलिए इन भाषाओं को तुरंत झारखंड से बाहर करे, हम झारखंडी आपको सत्ता तक पहुंचायेगे.
देवेन्द्रनाथ ने भाषा आन्दोलन का और भी व्यापक स्वरुप देते हुए सरकार से उर्दू , बंगला, उड़िया सहित सभी भाषाओं को झारखंड से बाहर करने की चेतवानी देते हुए कहा कि सिर्फ नौ जनजातीय भाषाओं को ही झारखंड की भाषा के रुप में स्वीकार किया जाय.
देवेन्द्रनाथ महतो ने हेमंत सोरेन को चेतावनी देते हुए कहा कि हम बिरसा मुंडा और बाबा साहब अम्बेडकर के अनुयायी है, हम किसी भी कीमत पर हेमंत सोरेन के अनुयायी नहीं है. लेकिन यदि हेमंत सोरेन हम आदिवासी-मूलवासियों की भावनाओं का सम्मान करते हुए उर्दू सहित सभी गैर झारखंडी भाषाओं को बाहर का रास्ता दिखलाते हैं तो सारे आदिवासी-मूलवासी हेमंत सोरेन के साथ खड़े होंगे.
रिपोर्ट- शाहनवाज