40.3 C
Jharkhand
Friday, April 26, 2024

Live TV

बिहार में हर राजनीतिक दल परेशान क्यों? जितनी बड़ी पार्टी उतनी ही बड़ी खेमेबाजी  

Patna— Uneasiness in the political parties of Bihar- बिहार की राजनीति में इन दिनों एक अजीब सा नजारा है. हर राजनीतिक दल परेशान नजर आ रहा है, सत्ता पक्ष हो या विपक्ष. हर पार्टी दूसरे पार्टी से ज्यादा अपनों से परेशान है, अपनों की खेमेबाजी से हलकान है. इसका खामियाजा हर राजनीतिक दल को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन राजनीतिक पार्टियों के अन्दर की गुटबाजी खत्म ही नहीं होती.

हाल-ये-भाजपा, जितनी बड़ी पार्टी उतनी ही बड़ी खेमेबाजी  

इसकी शुरुआत अपने को विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी का दम्भ भरने वाली भाजपा से ही करते हैं. इसकी बिहार ईकाई में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का दावा है कि यह जितनी बड़ी पार्टी है, इसकी अन्दर की गुटबंदी उतनी ही बड़ी है. हर गुट एक दूसरे को मात देने के लिए राजनीतिक मोहरे चल रहा है. अन्दर की गुटबाजी ही तय करती है कि किसके हिस्से में कौन सा मंत्री का पद आयेगा और किसके हिस्से में विधायक और सांसद का टिकट या संगठन का बड़ा पद. वैसे तो भाजपा की बिहार ईकाई में कई खेमेबंदी है, लेकिन सबसे बड़ी खेमेबंदी नित्यानंद राय का माना जाता है.

सबसे मजबूत स्थिति में हैं नित्यानंद का गुट 

माना जाता है कि आज के समय में नित्यानंद प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के सबसे ज्यादा करीबी बने हुए है. दूसरा खेमा पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का है. कुछ समय पहले तक बिहार भाजपा की राजनीति में छोटे मोदी की सिक्का चलता था. लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति इनकी रहमदिली भारी पड़ गयी. विरोधी खेमे ने इन्हे बिहार की राजनीति से तत्काल बाहर कर दिया है. गुटबाजी का आलम यह रहा कि इनकी न सिर्फ डिप्टी सीएम की कुर्सी गयी, बल्कि केन्द्रीय राजनीति में भी इन्हे दूर कर दिया गया. अब ये राज्यसभा में बिहार का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

अपने विवादित बयानों के साथ एक तीसरा खेमा गिरिराज सिंह का भी है. गाहे बगाहे इनका इस्तेमाल हिन्दुत्व जैसे मुद्दे पर कड़े बयान दिलवाने के लिए किया जाता है. लेकिन इससे आगे इनकी गाड़ी बढ़ नहीं पाती.

एक चौथा खेमा संजय जायसवाल का भी है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनते ही इनका भी एक खेमा सक्रिय हो गया है. इसके साथ ही पूर्व केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद के खेमे को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता. भले ही वह अभी संगठन और सरकार  में लाईम लाईट से दूर हों, लेकिन उनकी पकड़ पटना से लेकर दिल्ली तक बनी हुई है. कहा तो यह भी जाता है कि रविशंकर प्रसाद बिहार में मुख्यमंत्री का चेहरा भी हो सकते हैं. बावजूद इसके पार्टी प्रवक्ता के द्वारा बिहार भाजपा में  किसी भी खेमेबंदी से साफ इंकार किया जाता है.

 कितना यूनाइटेड है जनता दल यूनाइटेड

जदयू के नाम के साथ भले ही यूनाइटेड शब्द जुड़ा हो, लेकिन यूनाइटेड तो यह कहीं से भी नजर नहीं आती. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी में खेमेबंदी चरम है, हर गुट के अपने दावे और रणनीतियां है. अपनी अपनी राजनीतिक बिसात है. पार्टी में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है.

आरसीपी खेमे में है गहरी नाराजगी 

विधानसभा चुनाव के बाद से जिस प्रकार से कई बड़े फैसले हुए, आरसीपी सिंह को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया, उससे पार्टी का एक खेमा खुश नहीं है. लेकिन बात यही नहीं रुकी उपेंद्र कुशवाहा को जिस प्रकार से पार्टी में शामिल करवाकर संसदीय बोर्ड का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया.

विश्वसत सुत्रों का मानना है कि इससे आरसीपी खेमे में नाराजगी है. पार्टी के अंदर का यह विवाद अभी थमा भी नहीं थी कि ललन सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया . इसके बाद तो पार्टी कई खेमे में नजर आने लगी. बात यहीं खत्म नहीं हो रही पार्टी का एक बड़ा खेमा आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने से खुश नहीं है.

लेकिन बात वही है कि पार्टी का हर नेता किसी प्रकार का गुटबाजी से इंकार कर रहा है, सभी एक स्वर से हर नेता नीतीश कुमार को एक मात्र नेता बतलाते हुए पीछे दिखना नहीं चाहता. कहा जा सकता है कि पार्टी का चुंबकीय तत्व (Magnetic center) कोई विचारधारा या वैचारिक प्रतिबद्धता नहीं होकर नीतीश कुमार है.

दुर्दिन से गुजर रही कांग्रेस के अन्दर भी खेमेबाजी की कमी नहीं

अपने इतिहास  के सबसे खराब दौर से गुजर रही कांग्रेस के अन्दर भी गुटबाजी की कोई कमी नहीं है. कहा तो यह भी जाता है कि अपने इस ऐतिहासिक बिखराव की वजह पार्टी के अन्दर की खेमेबाजी है. हर हार के बाद पार्टी के अन्दर एक नया गुट सामने आ जाता है. इंदरा गांधी के जमाने या कहें की भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरु के दौर में जिस गुटबाजी की शुरुआत हुई थी, वह आज तक अविराम जारी है. यही कारण है कि पार्टी अपने आप को सत्ता के लिए नहीं हाशिये पर अपनी उपस्थिति बनाये रखने के लिए भी संघर्ष करती नजर आ रही है.   

किसकी पार्टी है आरजेडी– एक यश प्रश्न, पार्टी के साथ परिवार में भी खेमेबाजी

 भले ही लालू यादव की पार्टी आरजेडी में सब कुछ सामान्य दिखलाने की कोशिश जा रही है, लेकिन पार्टी में सब कुछ सामान्य नहीं है. यहां तो पार्टी के अन्दर ही नहीं परिवार में भी कई खेमा है. पार्टी में ही नहीं लालू परिवार में भी कई खेमा है. भाई और बहनों में वर्चस्व की लड़ाई अंदर चलते चलते बाहर आ गई. तेजस्वी की बड़ी बहन मीसा भारती की कोशिश पार्टी पर अपनी पकड़ बनाने की रही है. कई बार इसकी कोशिश की जा चुकी है. इसके लिए तेजप्रताप के कंधे पर बंदूक रख कर निशाना साधने की कोशिश भी की गयी, लेकिन तेजस्वी ने इस चाल  को सफल होने नहीं दिया.

पार्टी और संगठन पर है तेजस्वी की पकड़, हाशिये पर नजर आ रहें हैं तेजप्रताप

तेजस्वी यादव ने न सिर्फ पार्टी पर अपनी पकड़ बनायी , बल्कि मतदाताओं के बीच भी अपनी स्वीकार्यता बनाने में सफल रहे. आज बड़ी बहन मीसा भारती पार्टी में हाशिये पर खड़ी नजर आ रही है. लेकिन तेजप्रताप यादव सोशल मीडिया और अपने चुटकुले बयानों से लगातार तेजस्वी को चुनौती देते नजर आते रहते हैं. लेकिन फिर वही बात पार्टी प्रवक्ता की ओर से इसे विपक्ष की साजिश बतायी जाती है.

रिपोर्ट- शक्ति

Next Post :

Related Articles

Stay Connected

115,555FansLike
10,900FollowersFollow
314FollowersFollow
187,000SubscribersSubscribe
- Advertisement -

Latest Articles