डिजीटल डेस्क: Lok Sabha Election 2024 के तीसरे चरण का चुनाव उस यूपी में सबसे अहम रहने वाला है जहां से होकर सियासत में दिल्ली जाने का रास्ता होने की मान्यता है। तीसरे चरण में यहां कुल 10 सीटों के लिए 7 मई को वोटिंग होना है। इन्हीं पर भाजपा के राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरा रहे पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह मैदान के लिए भी इस बार चुनावी रण तनिक कठिन है तो सपा मुखिया अखिलेश यादव के परिवार के तीन चेहरों की भी साख दांव पर लगी है। सभी अपनी जीत को सुनिश्चित करने को पसीना बहा रहे हैं। उनके साथ उनके दलों के रणनीतिकार भी चुनावी रण अपना सर्वस्व झोंकने पर जुटे हैं ताकि साख पर बट्टा न लगे।
Lok Sabha Election तीसरे चरण में यूपी में 100 प्रत्याशी मैदान में
उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के दो चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं। अब बारी तीसरे चरण की 10 संसदीय सीटों की है। Lok Sabha Election 2024 के तीसरे चरण में यूपी में नाम वापसी के बाद अब इन सीटों पर 100 उम्मीदवार मैदान में हैं। इस बार के चुनाव में मुलायम सिंह यादव के परिवार से पांच सदस्य अलग-अलग सीटों से किस्मत आजमा रहे हैं, जिनमें से तीन सीटों पर तीसरे चरण में चुनाव है। तीसरे चरण के लिए सियासी दलों ने पूरी ताकत झोंक रखी है। इस चरण में उन क्षेत्रों में मतदान होगा, जिसको मुलायम सिंह यादव के परिवार का गढ़ माना जाता है। इसलिए समाजवादी पार्टी के साथ-साथ मुलायम सिंह यादव के कुनबे को सियासी इम्तिहान से गुजरना है। सभी के जीत के अपने दावे और समीकरण है। सैफई परिवार से तीन नेताओं के साथ-साथ भाजपा के दिग्गज नेता रहे कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह को अग्नि परीक्षा होनी है। बदायूं, फिरोजाबाद और मैनपुरी सीट पर मुलायम कुनबे के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरना होगा, तो कल्याण सिंह के सियासी वारिस राजवीर सिंह को एटा सीट पर दो-दो हाथ करना है।
तीसरे चरण में भाजपा की होगी अग्निपरीक्षा, पिछला प्रदर्शन बरकरार रखना चुनौती
Lok Sabha Election 2024 के लिए यूपी में तीसरे चरण में 10 संसदीय सीटों में से संभल में 12, हाथरस में 10, आगरा में 11, फतेहपुर सीकरी में 9, फिरोजाबाद में 7, मैनपुरी में आठ और एटा सीट से 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। इसके अलावा बदायूं में 11, आंवला में 9 और बरेली सीट पर 13 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। पिछली बार वर्ष 2019 में इन 10 लोकसभा सीटों में से विपक्ष सिर्फ एक सीट ही जीत सकी थी और भाजपा 9 सीटें जीती थी। तीसरे चरण में यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह की भी अग्नि परीक्षा है। वह एटा लोकसभा सीट से एक बार फिर से चुनावी मैदान में हैं। गत बार मोदी लहर में सिर्फ मैनपुरी सीट से सपा के मुलायम सिंह यादव सांसद चुने गए थे, जबकि सैफई परिवार के धर्मेंद्र यादव को बदायूं सीट से करारी शिकस्त मिली थी। फिरोजाबाद सीट पर शिवपाल यादव और अक्षय यादव को हार मिली थी।

एटा में कल्याण सिंह की सियासी विरासत बचाने की चिंता
Lok Sabha Election 2024 में यूपी के शाक्य बहुल माने जाने वाले एटा सीट सपा ने इस बार राजवीर के खिलाफ देवेश शाक्य को उतारा है तो बसपा ने मोहम्मद इरफान को प्रत्याशी बनाया है। सपा ने राजवीर सिंह के सामने चुनौती खड़ी की है तो बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी उतरने से सपा के कोर वोटबैंक में बिखराव का खतरा बना गया है। सपा यादव-शाक्य-मुस्लिम समीकरण के सहारे कल्याण सिंह के बेटे की सीट पर अपना दबदबा बनाए रखना चाहती है कारण कि शाक्य वोटर बड़ी संख्या में हैं, जो बीजेपी का वोटबैंक माना जाता है। लेकिन सपा से देवेश शाक्य के उतरने से चुनौती बढ़ गई है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगी कि कल्याण सिंह के सियासी विरासत को राजवीर क्या बचाए रख पाने में कामयाब रहते हैं।
बदायूं में सपा वेटरन शिवपाल यादव के बेटे की परीक्षा
बदायूं लोकसभा सीट पर तीसरे चरण में वोटिंग होनी है। यहां पर कांटे की टक्कर मानी जा रही है। इस सीट पर सपा ने पहले धर्मेंद्र यादव, फिर शिवपाल यादव और बाद में उनके बेटे आदित्य यादव को प्रत्याशी बनाया है। आदित्य के खिलाफ भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काटकर दुर्विजय शाक्य को उतारा है। बसपा से मुस्लिम खान किस्मत आजमा रहे हैं। वर्ष 2009 और 2014 में बदायूं से सांसद बनने वाले धर्मेंद्र यादव 2019 के चुनाव में भाजपा से हार गए थे और भाजपा की संघमित्रा मौर्य सांसद चुनी गईं थी। वेटरन सपा नेता शिवपाल यादव के बेटे आदित्य पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं, जिसे जिताने के लिए शिवपाल यादव ने बदायूं में डेरा जमा रखा है। सपा के महासचिव पद से इस्तीफा देने वाले सलीम शेरवानी और आबिद रजा को मनाने में शिवपाल कामयाब हो गए हैं ताकि बसपा के मुस्लिम खान के चलते मुस्लिम वोटों में बिखराव न हो सके। ऐसे में यहां सपा और भाजपा के बीच मुकाबला कांटे का है।

मैनपुरी में डिंपल यादव के लिए जीत डगर उतनी आसान नहीं
मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव चुनावी मैदान में है। उनके खिलाफ भाजपा के जयवीर सिंह मैदान में है, जोकि उत्तर प्रदेश सीएम योगी सरकार के मंत्री हैं। बसपा ने इस सीट से अपना प्रत्याशी बदलकर यादव कार्ड खेल दिया है और शिव प्रसाद यादव को उम्मीदवार बनाया है। वर्ष 1996 के बाद से मैनपुरी सपा का मजबूत गढ़ बना हुआ है। मोदी लहर में भी भाजपा मैनपुरी सीट नहीं जीत सकी है। सपा के संस्थापक मुलायम सिंह के निधन के बाद डिंपल यादव 2022 उपचुनाव में सांसद चुनी गईं। इस तरह उन्होंने अपने ससुर की सियासी विरासत को संभाला और अब एक बार फिर से चुनावी मैदान में उतरी हैं लेकिन इस बार उन्हें दोहरी चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है। जयवीर सिंह मैनपुरी सदर विधानसभा सीट से भाजपा के विधायक और यूपी में मंत्री हैं तो बसपा ने यादव प्रत्याशी ने मुकाबले को रोचक बना दिया है। ऐसे में इस बार डिंपल चुनावी जीत का रही एकनजर में आसान कत्तई नहीं है।
फिरोजाबाद में रामगोपाल यादव के बेटे का सियासी भविष्य दांव पर
फिरोजाबाद लोकसभा सीट से सपा के दिग्गज नेता और राज्यसभा सदस्य डॉ. राम गोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनावी मैदान में हैं। अक्षय के खिलाफ भाजपा ने विश्वदीप सिंह को उतारा है तो बसपा ने चौधरी बशीर पर भरोसा जताया है। वर्ष 2019 में फिरोजाबाद सीट पर शिवपाल यादव के उतरने से अक्षय यादव चुनाव हार गए थे, जबकि उससे पहले वर्ष 2014 में इसी सीट से सांसद चुने गए थे। शिवपाल यादव अब साथ हैं, लेकिन भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद डॉ. चंद्रसेन जादौन का टिकट काटकर दांव खेला है। साथ ही बसपा के मुस्लिम प्रत्याशी के उतरने से अक्षय के लिए चुनौती बन गई है। इसीलिए अक्षय ही नहीं रामगोपाल यादव ने फिरोजाबाद में डेरा जमा रखा है ताकि उनका सियासी दुर्ग बचा रहे।




































