इस मंदिर में भगवान राम और रावण ने की थी पूजा

बनारस से की जाती है उमानाथ मंदिर की तुलना

ताड़का वध करने के बाद भगवान श्रीराम ने की थी पूजा-अर्चना

मंदिर परिसर में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव

उमानाथ मंदिर में रावण ने भी की थी पूजा

रावण ने फूल की जगह गर्दन काट कर चढ़ाये थे

सरकारी उपेक्षा के कारण नहीं मिला पर्यटक स्थल का दर्जा

बाढ़ : बिहार की राजधानी पटना से 70 किलोमीटर पूर्व उत्तरायण गंगा के तट पर बाढ़ अनुमंडल का उमानाथ धाम है. जो आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी विकास से कोसों दूर है. जबकि इस मंदिर की तुलना बनारस से की जाती है. आज भी मंदिर परिसर में मूलभूत सुविधाओं का घोर अभाव है.

दूर-दूर से पूजा करने आते हैं लोग

इस मंदिर की विशेषता में चार चांद लगाते हुए वर्णित दोहा इस प्रकार उद्धृत होती है-‘‘बाढ़ बनारस एक है, बसै गंग के तीर! उमानाथ के दर्शन से कंचन हो शरीर’’. उक्त दोहा मंदिर निर्माण के वक्त ही यहां लगे एक शिलापट्ट पर उकेरी गई थी, जो वक्त के थपेड़ों से काल कल्वित हो गई. बावजूद इसके इस मंदिर की आस्था में आज तक कोई कमी नहीं आई है. बिहार के कोने-कोने से लोग मन्नत मांगने आज भी इस मंदिर में पहुंचते हैं. और बाबा उमानाथ की कृपा से उनका मन्नत पूरी होती है.

ये है मंदिर का इतिहास

महंत निगमानंद इस मंदिर के इतिहास पर नजर डालते हुए बताते हैं कि, कभी रावण भी इस मंदिर में भगवान शिव की पूजा अर्चना किए थे! और फूल की जगह अपनी गर्दन काट कर चढ़ाये थे. दूसरे महंत जय मंगल भारती का कहना है कि बक्सर में ताड़का-वध करने के बाद भगवान श्रीराम भी यहां आकर पूजा-अर्चना किए थे. यहां के महंतों द्वारा बताई गई ऐतिहासिक विशेषताओं में कितना दम है, यह तो इतिहास की बातें हैं! लेकिन संभवत देश का यह तीसरा मंदिर है जहां ‘‘उमा’’ अर्थात पार्वती ‘‘नाथ’’ अर्थात शिव का मंदिर आमने-सामने है. यही वजह है कि इस मंदिर का नाम उमानाथ रखा गया है.

काशी से की जाती है उमानाथ मंदिर की तुलना

इस मंदिर की तुलना पंडित और पुजारियों द्वारा भले काशी से की जाती है, लेकिन विकास के मामले में बाबा उमानाथ धाम काशी की तुलना में कोसों दूर नजर आते है. इतना पुराना मंदिर होते हुए भी सरकारी उपेक्षा के कारण आज तक पर्यटक स्थल का दर्जा नहीं प्राप्त कर सका है. जबकि लगभग 500,000 की भीड़ को अपने दामन में समेटने वाली माघी पूर्णिमा और कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यहां जबरदस्त मेला का आयोजन दशकों से होता आ रहा है. इस मंदिर के विकास के प्रति न तो बाढ़ नगर परिषद चिंतित है, न हीं यहां के विधायक और सांसद.

 

रिपोर्ट : अनिल कुमार

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