गया: गया (Gaya) में झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले महादलित बस्ती के लोगों की अचानक ही किस्मत बदल गई। गंदे कॉलोनी में बने झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग अब टाइल्स लगे पक्के मकान में रहने लगे हैं। यह मुमकिन हुआ है गया में घूमने आये थाईलैंड की एक संस्था के लोगों की पहल से। यह महादलित बस्ती है गया के सिलौंजा गांव जहां करीब 100-150 महादलित परिवार रहता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि वे लोग पहले गन्दी बस्ती में झोपड़ियो में रहते थे। इसी बीच करीब दो वर्ष पहले थाईलैंड की एक संस्था बौद्ध सूची चैरिटी फाउंडेशन के कुछ सदस्य बोधगया घुमने आये थे। Gaya Gaya
बोधगया घूमने के दौरान ये लोग जब सिलौंजा गांव पहुंचे तो वहां रह रहे महादलित लोगों की स्थिति देख कर चौंक गये। उन्होंने वहां रहने वाले लोगों से जमीन का कागज माँगा और भव्य घर बनाने का वादा किया। करीब चालीस परिवार के लोगों ने उन्हें पानी जमीन का कागज उपलब्ध कराया जिसके बाद दो वर्षों में उन लोगों ने उनकी झोपडी की जगह पर पक्का मकान बना दिया। पक्का मकान बनाने के बाद कॉलोनी का नाम दशरथ नगर रखा गया है। Gaya Gaya Gaya
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स्थानीय लोगों ने बताया कि यह हमलोगों के लिए किसी सपना से कम नहीं है। जब हमें बोला गया कि जमीन का कागज देने पर पक्का घर मिलेगा तो भरोसा ही नहीं हुआ लेकिन जब मकान का निर्माण शुरू हुआ तो इतना भरोसा मिल गया कि अब झोपड़ी से छुटकारा मिल जायेगा और पक्का घर मिलेगा लेकिन जब मकान बन गया तो अब लगता है कि यह महज एक सपना है। एक परिवार के लिए भव्य बंगला की तरह से मकान बनाया गया है जिसमें सारी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं। गांव के अन्य लोगों से भी उनकी जमीन का कागज माँगा गया है ताकि उस पर मकान बनाया जा सके। Gaya
स्थानीय बसंत मांझी ने बताया कि हमलोग पहले घास फूस और झोपडी में रहते थे। बरसात और गर्मी के समय में हवा का झोंका और बारिश का पानी हमारे घरों में जब आता था तो रहना दूभर हो जाता था लेकिन जब हमने अपनी जमीन के कागज दिए तो आज हमें उनलोगों ने भव्य मकान बना कर दिया है। सभी मकानों में टाइल्स लगे हैं साथ ही दिवार पर पुट्टी किया गया है, दो बेडरूम के साथ ही बरामदा, चापाकल, किचन समेत गार्डन भी बनाया गया है।
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स्थानीय टिंकू देवी ने कहा कि हमें पहले विश्वास ही नहीं हो रहा था लेकिन जब मकान का निर्माण शुरू हो गया तो फिर भरोसा बढ़ा और आज जो देख रहे हैं वह किसी सपने से कम नहीं है।
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गया से आशीष कुमार की रिपोर्ट