Saturday, September 13, 2025

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महाराष्ट्र में फिर महायुति का राज, रचा इतिहास

डिजीटल डेस्क : महाराष्ट्र में  फिर महायुति का राज, रचा इतिहास। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन एक बार फिर सत्ता में वापसी कर ली है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले इस गठबंधन के तीनों दलों ने बेहतर प्रदर्शन किया और विपक्षी महाअघाड़ी गठबंधन के घटक दलों को बड़े अंतर से हाशिए पर धकेला। महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन 220 से ज्यादा सीटें लाता दिख रहा है जबकि महा विकास अघाड़ी 55 सीटों पर सिमट रही है।

कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार तीनों मिलकर भी वो कमाल नहीं कर पाए जिसकी उम्मीद जताई जा रही थी जबकि देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार की तिकड़ी ने लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा ने बिगड़े समीकरण को ठीक करते हुए हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण कर महाराष्ट्र में नया इतिहास रच दिया।

भाजपा, शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजित पवार गुट की इस तिकड़ी ने महा विकास अघाड़ी को चारों खाने चित कर दिया है।

महायुति के लिए संजीवनी बना बंटेंगे तो कटेंगे का नारा

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में प्रचार करने पहुंचे यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बंटेंगे तो कटेंगे का नारा दिया तो उस नारे महाराष्ट्र की राजनीति को गरमा दिया। सीएम योगी का वही नारा महाराष्ट्र के चुनावी राजनीति का केंद्र बन गया।

उसके बादभाजपा की सहयोगी पार्टी एनसीपी के प्रमुख अजित पवार उस नारे का विरोध किया तो पंकजा मुंडे और राज्यसभा सांसद अशोक चव्हाण ने भी खिलाफत की। लेकिन महाराष्ट्र के सियासी जमीन में महायुति के जीत के जरूरी खाद-पानी का काम सीएम योगी के इसी नारे ने कर दिखाया।

महाराष्ट्र के शनिवार को आ रहे चुनाव परिणाम में साफ दिख रहा है कि महायुति गठबंधन को हिंदू वोट झोली भरकर मिला है। अब यह भी कहा जा रहा है कि इस नारे को महाराष्ट्र में इसलिए भी ज्यादा स्वीकार्यता मिली क्योंकि सीएम योगी के अलावा पीएम पीएम नरेंद्र मोदी ने भी एक हैं तो सेफ हैं का नारा दे दिया था।

सियासी जानकारों का कहना है कि सीएम योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे नारे के बाद महायुति में जो बिखराव दिखने लगा था पीएम नरेंद्र मोदी के नारे ने उसे दूर किया। उसके अलावा पार्टी इसे लोगों तक इस नारे को पहुंचाने में कामयाब रही कि अलग-अलग धर्मों, जातियों और समुदायों में नहीं बंटना है एवं नए भारत के लिए वोट करना है।

महाराष्ट्र में महायुति के जीत के तीन प्रमुख किरदारों का एक अंदाज ऐसा भी।
महाराष्ट्र में महायुति के जीत के तीन प्रमुख किरदारों का एक अंदाज ऐसा भी।

अजित पवार बोले – लड़की बहन योजना साबित हुई गेम चेंजर, हम जीत से विचलित नहीं होंगे…

इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने अहम टिप्पणी की। महायुति के इतिहास रचने और इसके भविष्य के सवाल पर अजित पवाल का जवाब था कि – ‘…लड़की बहन योजना हमारे लिए गेम चेंजर साबित हुई। इसने हमारे हर विरोधी को परास्त कर दिया। मैंने अपनी याददाश्त में ऐसी जीत नहीं देखी।

…हम जीत से विचलित नहीं होंगे, लेकिन इससे हमारी जिम्मेदारी जरूर बढ़ गई है। हमें अब जिम्मेदारी से काम करना होगा। खासकर वित्तीय अनुशासन की जरूरत है, ताकि हम अपने सभी वादे पूरे कर सकें। हम इसके लिए प्रतिबद्ध हैं।

…जो लोग ईवीएम को दोष दे रहे हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि हम ईवीएम के कारण ही लोकसभा हारे थे और अब हम झारखंड भी ईवीएम के कारण ही हारे हैं। हम बहुत कम अंतर से कुछ सीटें हारे हैं। यह गठबंधन महाराष्ट्र के समग्र विकास के लिए अगले 5 साल तक साथ मिलकर काम करेगा’।

बता दें कि महाराष्ट्र में 20 नवंबर को एक चरण में 288 विधानसभा सीटों के लिए मतदान हुआ था।

महाराष्ट्र में महायुति के जीत के तीन प्रमुख किरदार एक साथ।
महाराष्ट्र में महायुति के जीत के तीन प्रमुख किरदार एक साथ।

मीडिया के सामने एकनाथ शिंदे, देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार के इस संवाद के काफी गहरे हैं मायने…

महाराष्ट्र में आए चुनावी नतीजों और रुझानों में महायुति ने इतिहास रचते हुए सत्ता में वापसी की तो इस जीत के लिए जमीनी तैयार करने वालों (देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार) की तिकड़ी के ठहाके शनिवार अपराह्न देखने ही लायक थी।

मीडिया के सामने इस तिकड़ी का जो संवाद रहा, उससे इनके आपस के सियासी समीकरण की गहराई को समझा जा सकता है कि ये भले ही कुछ पलों के लिए अपनी शब्दावलियों से अलग दिखें लेकिन अंदर से पूरी तरह एक हैं।

इसकी एक बानगी देखिए-

एकनाथ शिंदे :जनता को सब याद था। इस चुनाव में लोगों ने यह ध्यान रखा कि कौन आखिर किस पार्टी का है। (अजित पवार की तरफ इशारा करते हुए) वैसे आपकी कौन सी राष्ट्रवादी से हैं? (ठहाकों के बीच) …और इनकी पार्टी आखिर किसकी है, लोगों ने यह तय कर लिया’।

अजित पवार (ठहाकों के बीच):इसी तरह जनता ने यह भी तो फैसला कर दिया कि शिवसेना आखिर किसकी है।’

एकनाथ शिंदे:हमारी 56 सीटें आईं। अमित शाह जी, भूपेंद्र जी, नड्डा जी, राजनाथ सिंह जी हमारे साथ रहे’।

अजित पवार (शिंदे को एक और नाम याद दिलाते हुए):आठवले साहब भी तो हैं…’।

एकनाथ शिंदे:आठवले साहब तो हमारे साथ ही हैं। उनका तो सौ टका स्ट्राइक रेट रहता है’।

महायुति की जीत की खुशी मनाते देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार।
महायुति की जीत की खुशी मनाते देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार।

एक हैं तो सेफ हैं के नारे के अलावा महायुति को वोट जिहाद और फतवों से मिला फायदा

बंटेगे तो कटेंगे और एक हैं तो सेफ हैं वाले नारों के अलावा भाजपा ने चुनाव में वोट जिहाद के खिलाफ एक ऐसा नरैटिव सेट किया जिससे महाराष्ट्र में हिंदू वोट सीधे तौर पर एकजुट हो गया। ग्राउंड पर महाराष्ट्र में यह चुनावी नतीजों में यह साफ दिख रहा है।

मतदान से पहले जिस तरह के फतवे मदरसों से जारी किए गए उनसे महा विकास अघाड़ी को फायदा पहुंचने की बजाय नुकसान उठाना पड़ा। उन फतवों से मराठा आरक्षण और अन्य मुद्दों के नाम पर भाजपा से छिटक रहा वोटर फिर से भगवा खेमे की ओर लौट आया।

महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने प्रचंड बहुमत से सत्ता में वापसी का श्रेय उन नारों को लाजिमी तौर मिल रहा है जो इस बार महाराष्ट्र की राजनीति में सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बने। इनमें एक नारा था बंटेंगे तो कटेंगे और दूसरा था एक हैं तो सेफ हैं। महाराष्ट्र चुनाव में पूरी तरह कांग्रेस और विपक्ष के नारों पर पीएम मोदी का नारा एक हैं तो सेफ हैं हावी नजर आया।

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