कटिहार : कटिहार जिले के गोगाबिल झील में सिरूआ बिसुआ पर्व के अवसर पर हर साल की तरह इस बार भी माही शिकार का दौर जारी है। हजारों लोग जिनमें आदिवासी समाज और अन्य समुदाय के लोग शामिल हैं। पर्व से करीब एक सप्ताह पहले से ही आदिवासी समुदाय के लोग झील में मछली शिकार के लिए जुटने लगते हैं। पश्चिम बंगाल और आसपास के जिलों से बड़ी संख्या में लोग झील में अवैध तरीके से मछली पकड़ रहे हैं।
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2019 में गोगाबिल झील को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था
गौरतलब है कि 2019 में गोगाबिल झील को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया था। झील में मछली मारने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था। इसके बावजूद हर साल इस पर्व के दौरान झील में माही शिकार की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इस अवैध गतिविधि से लाखों रुपए की मछलियों का नुकसान होता है और सरकारी राजस्व को भी भारी क्षति पहुंचती है।
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बार-बार अपील और कार्रवाई की मांग के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है
वन विभाग की ओर से बार-बार अपील और कार्रवाई की मांग के बावजूद स्थिति जस की तस बनी हुई है। गोगा विकास समिति ने झील क्षेत्र में कड़ी निगरानी, पुलिस कैंप स्थापित करने और माही शिकार पर रोक लगाने की मांग की है। झील की जैव विविधता और सरकारी नियमों को बचाने के लिए ठोस कदम उठाना अनिवार्य हो गया है। मत्स्य जीवी सहयोग समिति लिमिटेड के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह गोगाबिल झील में चल रहे अवैध माही शिकार से संरक्षित क्षेत्र को काफी नुकसान हो रहा है साथ हीं सरकार की जिम्मेदारी है कि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाई जाए।
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रतन कुमार की रिपोर्ट