मां की विदाई के धुन पर झूमते ग्रामीणों के बीच पहुंचा शहीद का शव

मांझीः कभी खुशी, कभी गम की तर्ज पर एक दिल दहलाने वाली खबर सारण जिले के रिविलगंज से आई है.

दरअसल दुर्गा पूजा विसर्जन के अवसर पर ग्रामीणों ने तीन दिनों का सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया था, ग्रामीण लगातार तीन दिनों तक मस्ती,गीत-संगीत पर थिरकते रहें, मां को विदाई दी जाती रही. लेकिन, एक ऐसा क्षण भी आया जब ग्रामीण ‘कईसे करीं हम विदाई’ के धुन पर झूम रहे थें, तभी अचानक ट्रेन से शहीद का पार्थिव शव के आगमन की सूचना मिली. जानकारी मिली कि बलिया निवासी रामजी यादव देश की आन-बान की रक्षा में  जम्मू कश्मीर में शहीद हो गए, तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर बस आने ही वाली है.

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अभी यह खबर आई ही थी कि सेना के जवान ताबूत में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को लेकर कार्यक्रम स्थल पर आ पहुंचे.

कभी खुशी, कभी गम में बदला महौल, इस अनूठे सम्मान को देखकर रो पड़े सेना के जवान

फिर क्या था, सारी खुशी गम में बदल गई. दर्शकों का देश प्रेम उमड़ पड़ा. जिस आर्केस्ट्रा पर चन्द पल पहले ‘कईसे करीं हम विदाई’ के धुन पर ग्रामीण मां को विदाई दे रहे थें, अब वह विदाई शहीद की अन्तिम यात्रा में बदल गई. आर्केस्ट्रा पर ‘ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी, शहीद हुए हैं उनकी जरा याद करो कुर्बानी’ के दर्द भरे गीत की गूंज सुनाई पड़ने लगी. हजारों दर्शकों की आंखों से आंसुओं की अविरल धारा बह निकली.

दिल तो तब दहल गया, जब ग्रामीणों के इस बदले रुप को देखकर,ग्रामीणों द्वारा शहीद साथी का अनूठा सम्मान देखकर शहीद पार्थिव शव लेकर पहुंचे सेना के जवानों की आंखों से भी आंसूओं की धार बह निकली.

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