कैसे बनेगा डिजिटल भारत
कोडरमा : पेड़ पर मोबाइल नेटवर्क – डिजिटल दुनिया में जहां हर हाथ में मोबाइल है और एक क्लिक करते ही
मोबाइल के जरिए जहां हम देश दुनिया से जुड़ जाते हैं.
वहीं कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के बंगाखलार में एक इनकमिंग कॉल के लिए लोग तरसते हैं.
दरअसल इस गांव में किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं पकड़ता है.
पेड़ पर मोबाइल नेटवर्क: इनकमिंग कॉल के लिए तरस जाते हैं लोग
भारत 4G से 5G ओर बढ़ रहा है. वहीं इस दौर में अगर हम यह कहें कि
मेरे गांव में नेटवर्क नहीं है तो लोग मजाक उड़ाएंगे.
लेकिन, यह बात बंगाखलार पंचायत के उन ग्रामीणों के लिए पूरी तरह से सच है,
जो एक आदद इनकमिंग कॉल के लिए तरस जाते हैं.
कोडरमा के डोमचांच प्रखंड के बंगाखंलार पंचायत का यह गांव पूरी तरह से जंगल और पहाड़ों से घिरा पड़ा है.
यहां लोगों को अगर मोबाइल पर बात करनी होती है तो लोग या तो पेड़ पर चढ़ते हैं या फिर पहाड़ी पर जाकर बात कर पाते हैं.
पेड़ पर मोबाइल नेटवर्क: पेड़ पर टांग कर रखते हैं मोबाइल
यहां के लोग अपने मोबाइल को घर की छत पर पर या पेड़ पर टांग कर रखते हैं ताकि, नेटवर्क पकड़े और जरूरत के कॉल इनके मोबाइल पर आ सके लेकिन, ऐसा भी यदा-कदा ही हो पाता है. मोबाइल नेटवर्क नहीं होने की बेबसी इन ग्रामीणों को तब ज्यादा हो जाती है जब या तो गांव में कोई बीमार पड़ जाता है.
नेटवर्क नहीं रहने के कारण प्रज्ञा केंद्र भी रहता है बंद
बंगाखलार पंचायत में एक प्रज्ञा केंद्र भी है लेकिन नेटवर्क नहीं रहने के कारण प्रज्ञा केंद्र अक्सर बंद रहता है और अगर खुला भी तो नेटवर्क नहीं रहने के कारण सरकारी योजनाओं से जुड़े कामकाज नहीं हो पाते हैं. प्रज्ञा केंद्र के संचालक गांव में ऊंचे स्थान पर जाकर मोबाइल पर ही फाइल डाउनलोड करते हैं और उसके बाद प्रज्ञा केंद्र में आकर लोगों को उसका प्रिंट आउट देते हैं. यही स्थिति कमोबेश हर दिन बनी रहती है.
डिजिटल भारत: बंगाखलार पंचायत के लोगों को 2जी नेटवर्क भी नहीं मिलता
4G मोबाइल नेटवर्क से अब हम 5G और 6G की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बढ़ते कदम में बंगाखलार पंचायत के लोगों को 2G नेटवर्क भी मुहैया नहीं हो पा रहा है. मोबाइल आज लोगों की शौक नहीं बल्कि जरूरत बन चुका है. ऐसे में बंगाखलार पंचायत के लोग मोबाइल नेटवर्क से कटे होने के साथ मूलभूत सुविधाओं से भी कटे हुए हैं.
रिपोर्ट: कुमार अमित