Tuesday, July 1, 2025

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Thawe में साक्षात विराजती हैं मां कामाख्या, अकाल के समय में…

गोपालगंज: गोपालगंज जिला मुख्यालय से करीब छह किलोमीटर दूर सिवान जाने वाले मार्ग पर Thawe नाम का एक स्थान है। जहां मां थावे वाली का एक प्राचीन मंदिर है। मां थावे वाली को सिंहासिनी भवानी, थावे भवानी और रहषु भवानी के नाम से भी भक्तजन पुकारते हैं। ऐसे तो साल भर यहा मां के भक्त आते हैं, लेकिन शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ लगती है। मान्यता है कि यहां मां अपने भक्त रहषु भगत के बुलावे पर असम के कामाख्या स्थान से चलकर यहां पहुंची थीं।

कहा जाता है कि मां कमाख्या से चलकर कोलकाता (काली के रूप में दक्षिणेश्वर में प्रतिष्ठित), पटना (यहां मां पटन देवी के नाम से जानी गई), आमी (छपरा जिले में मां दुर्गा का एक प्रसिद्ध स्थान) होते हुए थावे पहुंची थीं और रहषु के मस्तक को विभाजित करते हुए साक्षात दर्शन दिए थे। यह एक सिद्धपीठ स्थान है इस मंदिर के पीछे एक प्राचीन कहानी है। पौराणिक कथाओ के मुताबिक राजा मनन सिंह हथुआ के राजा थे। वे अपने आपको मां दुर्गा का सबसे बड़ा भक्त मानते थे। गर्व होने के कारण अपने सामने वे किसी को भी मां का भक्त नहीं मानते थे।

Thawe में साक्षात विराजती हैं मां कामाख्या, अकाल के समय में...
थावे भवानी का गर्भगृह

इसी क्रम में राज्य में अकाल पड़ गया और लोग खाने को तरसने लगे। थावे में कामाख्या देवी मां का एक सच्चा भक्त रहषु रहता था। कथा के अनुसार रहषु मां की कृपा से दिन में घास काटता और रात को उसी से अन्न निकल जाता था, जिस कारण वहां के लोगों को अन्न मिलने लगा, परंतु राजा को विश्वास नहीं हुआ। राजा ने रहषु को ढोंगी बताते हुए मां को बुलाने को कहा। रहषु ने कई बार राजा से प्रार्थना की कि अगर मां यहां आएंगी तो राज्य बर्बाद हो जाएगा, परंतु राजा नहीं माने।

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रहषु की प्रार्थना पर मां कोलकाता, पटना और आमी होते हुए यहां पहुंची जिसके बाद राजा के सभी भवन गिर गए और राजा की मौत हो गई। मां ने जहां दर्शन दिए, वहां एक भव्य मंदिर है तथा कुछ ही दूरी पर रहषु भगत का भी मंदिर है। मान्यता है कि जो लोग मां के दर्शन के लिए आते हैं वे रहषु भगत के मंदिर में भी जरूर जाते हैं नहीं तो उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है। यहाँ यूपी, नेपाल, बिहार और झारखंड से श्रद्धालु आते है और माँ भवानी की पूजा अर्चना करते है। यहां लोग किसी भी शुभ कार्य के पूर्व और उसके पूर्ण हो जाने के बाद यहां आना नहीं भूलते।

यहां मां के भक्त प्रसाद के रूप में नारियल, पेड़ा और चुनरी चढ़ाते हैं। थावे के बुजुर्ग और मां के दरबार के मुख्य पुजारी संजय शुक्ला कहते हैं कि यहाँ सालोभर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है लेकिन शारदीय नवरात्रि और ग्रीष्म नवरात्रि में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगी रहती है। यहां जिला प्रशासन के द्वारा सुरक्षा का व्यापक इंतजाम किया गया है, जगह जगह सीसीटीवी लगाए गए है। सुरक्षा की दृष्टि से कई दंडाधिकारी, पुलिस बल और महिला पुलिस बल तैनात किए गए है।

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गोपालगंज से सुशील श्रीवास्तव की रिपोर्ट

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