Bhagalpur-लोक आस्था का महापर्व छठ के अवसर पर आपसी सद्भाव और भाईचारा देखना हो तो आप काजीचक खरादी टोला पन्नामील वार्ड नंबर 45 जरूर आएं. क्योंकि हिंदू आस्था का महापर्व छठ में यहां मुस्लिम समुदाय की महिलाओं ने गंगा जमुनी तहजीब को चरितार्थ कर दिया है. बीवी यासमीन, आशिया, मेहर, साजिया, नाज़मा, आफताब के साथ दर्जनों महिलाएं यहां बद्धि का निर्माण मेंं जुटी हुई हैं.
लोक आस्था का महापर्व और मुस्लिम महिलाएं
हिंदू धर्म में बद्धि (सूत की माला) को शरीर का रक्षा कवच माना जाता है. इसे पूरे नेम और निष्ठा के साथ तैयार किया जाता है. यहां दर्जनों मुस्लिम महिलाएं इसके निर्माण में जुटी हुई हैं. जिन मुस्लिम परिवार की महिलाओं के द्वारा इसका निर्माण किया जाता है, उन घरों में एक माह पहले से ही लहसुन- प्याज और मांस वर्जित हो जाता है, वह पाक साफ होकर पूरी निष्ठा से बद्दी का निर्माण करती हैं.
सामाजिक सद्भाव और समरसता का ऐसा दूसरा उदाहरण सनातनी पर्व त्यौहार में नहीं दिखता, सभी जाति संप्रदाय के लोग सिर्फ पवित्रता और समर्पित भाव से एकाकार होकर आस्था के अथाह सागर में डुबकी लगाते नजर आते हैं, पवित्रता के बावजूद पूजन सामग्री बेचने और लेने वालों के भाव भी खत्म हो जाते हैं, ऐसे ही भावों से लैस भागलपुर का दर्जनों मुस्लिम परिवार भी छठ पूजा के कार्यों में तल्लीनता से लगे नजर आते हैं.
मुस्लिम महिलाओं को बेसब्री से रहती है छठ पूजा का इंतजार
भागलपुर के काजीचक, लोहापट्टी, हुसैनाबाद नाथनगर के तकरीबन 50 से 60 मुस्लिम परिवार महीनों छठ पूजा आने का इंतजार करते हैं, यह परिवार छठ पूजा में कच्चे बांस के बने सूप पर चढ़ाने वाले बद्दी का निर्माण करते हैं, दिल्ली और कोलकाता से कच्चा माल में किरची धागा मंगवा कर पूरे परिवार के साथ यह लोग छह महीने पहले से ही बद्दी निर्माण में जुट जाते है.
दर्जनों मुस्लिम परिवार करते हैं छठ पर्व पर बद्दी का निर्माण
बताया जाता है कि यह इनका पुश्तैनी पेशा है,
ये महिलाएं बद्दी, अनंत, डोरा, जितिया बंधन आदि का निर्माण भी करती हैं,
पहले कच्चे माल को दिल्ली या कोलकाता से मंगाया जाता है,
जिसमें धागा के रूप में किर्चि कहे जाने वाले धागे से बद्दी का निर्माण किया जाता है,
इसकी सप्लाई भागलपुर के अलावे नवगछिया, पूर्णिया, कटिहार, समस्तीपुर, मुंगेर और बांका जैसे में की जाती है.
बीबी यासमीन कहती हैं हिंदूधर्म का सबसे बड़ा आस्था का पर्व छठ के साथ ही
आनंद चतुर्दशी, जितिया व्रत एवं डोरा पर्व के लिए हमलोग वर्षों से बद्दी,
अनंत, डोरा जितिया बंधन का निर्माण करते हैं.
पर्व से एक माह पहले से ही हमलोग मांस मछली और लहसुन प्याज खाना छोड़ देते हैं.
हिंदू धर्म के आस्था के साथ हम लोग खिलवाड़ नहीं कर सकते
क्योंकि हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सबों के लिए भगवान एक ही है हमें खुशी मिलती है
कि हिंदू भाइयों के लिए हम लोग बद्दी का निर्माण कर पाते हैं वह
बद्दी जिसे हिंदू धर्म के लोग पूरे शरीर का रक्षा कवच मानते हैं.
ऋषि सुनक के चुनाव प्रचार में शामिल धनबाद के लाल प्रज्वल पाण्डेय