जामताड़ा: जामताड़ा, जिसे हम साइबर ठगी की राजधानी के रूप में जानते हैं, अब राजनीतिक ड्रामों का नया केंद्र बन गया है। यहां की राजनीति साइबर ठगी से कम रोचक नहीं है। एक तरफ इरफान अंसारी के विवादित बयान हैं, तो दूसरी तरफ भाजपा की सीता सोरेन का चुनावी दांव। क्या ये सब कुछ किसी बड़े स्कैम का हिस्सा है?
जामताड़ा में एक और चुनाव आ रहा है, और जैसे-जैसे चुनावी बुखार बढ़ता है, सियासी खिलाड़ियों के तीर भी सटीक निशाने पर लगने लगते हैं। सीता साेरेन, जामताड़ा के राजनीति के जाल में पहली बार कदम रख रही हैं, अब खुद को साइबर ठगी के शिकार के रूप में महसूस कर रही होंगी। वे सोच रही होंगी कि आखिर इस ठगी के जाल में उन्हें क्यों फंसाया गया? क्या उनके टिकट का भी कोई साइबर चक्रव्यूह है?
दूसरी ओर, इरफान अंसारी का तो जैसे सारा गेम ही फिसल गया है। उनकी “रिजेक्टेड माल” वाली टिप्पणी ने उन्हें सियासत के साइबर ठगी की तरह बना दिया है। एक ऐसे ठग की तरह, जो सच्चाई की जगह केवल धुंधला सा नजारा छोड़ देता है। लेकिन जामताड़ा की जनता क्या इस ठगी के खेल को समझ पाएगी? क्या वे अपने सच्चे ठगों को पहचानेंगे, या फिर भ्रमित होकर वोट डाल देंगे?
यहां का चुनाव एक ऐसा डिजिटल स्कैम बनता जा रहा है, जिसमें आंकड़े, वादे और बयान सब कुछ साइबर स्पेस में खो जाते हैं। वोटरों की असली पहचान क्या है? क्या वे इरफान को उन ऐतिहासिक जीतों के लिए वोट देंगे, या फिर सीता सोरेन की नई राजनीति को स्वीकारेंगे? यह सब तो केवल चुनावी सर्वे की तरह ही है, जो कभी भी बदल सकता है।
जामताड़ा की राजनीति में हर कोई अपने-अपने तरीके से साइबर ठग बनना चाहता है। यहां तक कि चुनावी मुद्दे भी ठगी की तरह लगने लगे हैं। क्या अब जामताड़ा को सच्चे नेताओं की तलाश है, या वे फिर से ठगों के जाल में फंस जाएंगे? यह तो वक्त ही बताएगा।
तो जनाब, जामताड़ा के चुनावी ड्रामे में साइबर ठगी का यह नया एपिसोड आपके लिए कितना रोचक है? आइए, देखते हैं कि कौन है असली ठग और कौन है सच्चा नेता!