रांची: झारखंड में 1 जून 2025 से नई उत्पाद नीति लागू हो सकती है, लेकिन इससे पहले राज्य में खुदरा विदेशी शराब की दुकानें चला रहीं एजेंसियों का टर्म मार्च में ही समाप्त हो जाएगा। ऐसे में अप्रैल और मई के दो महीनों तक शराब की बिक्री कैसे होगी, इसे लेकर उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग असमंजस में है।
खुदरा बिक्री के लिए क्या है योजना?
उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग ने इस अंतराल में शराब की खुदरा बिक्री जारी रखने के लिए वित्त विभाग को एक प्रस्ताव भेजा था। प्रस्ताव में विभाग ने खुद ही दो महीने तक शराब की खुदरा दुकानें संचालित करने की अनुमति मांगी थी। यह सहमति मिलने के बाद प्रस्ताव को कैबिनेट से पारित कराया जाना था।
हालांकि, वित्त विभाग ने कुछ आपत्तियों के साथ इस प्रस्ताव पर स्पष्ट जवाब मांगते हुए फाइल वापस कर दी है। अब उत्पाद विभाग दोबारा फाइल भेजने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा, सरकार विकल्प के रूप में पहले से काम कर रही मैनपावर एजेंसियों को दो महीने का विस्तार देने पर भी विचार कर रही है।
सरकार के लिए खुद शराब दुकानें चलाना चुनौती
शराब की दुकानों को सीधे सरकार द्वारा संचालित करना आसान नहीं होगा। विभाग के लिए सबसे बड़ी चुनौती मैनपावर प्लेसमेंट एजेंसियों से जुड़े सेल्समैन हैं। अगर एजेंसी के तहत काम करने वाला कोई सेल्समैन वित्तीय गड़बड़ी करता है, तो वसूली एजेंसी से की जा सकती है। लेकिन अगर विभाग खुद सेल्समैनों को नियुक्त करता है और कोई गबन कर फरार हो जाता है, तो उसकी भरपाई मुश्किल हो जाएगी।
राजस्व पर्षद ने वापस की नई नीति की फाइल
इस बीच, उत्पाद विभाग ने नई उत्पाद नीति की सहमति के लिए फाइल राजस्व पर्षद को भेजी थी, लेकिन पर्षद ने कुछ आपत्तियों के साथ इसे वापस कर दिया है। राजस्व पर्षद ने यह जानकारी मांगी है कि इस नई नीति पर विधि विभाग और वित्त विभाग का क्या विचार है। साथ ही, उसने यह भी पूछा है कि नई नीति लागू करने से राजस्व में कितना और कैसे इजाफा होगा।
मंत्री ने दिए संकेत, सभी विकल्पों पर हो रहा विचार
उत्पाद एवं मद्य निषेध मंत्री ने कहा कि दो महीने की खुदरा शराब बिक्री के लिए कई विकल्पों पर विचार किया जा रहा है। सरकार झारखंड स्टेट बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड (JSBCL) के माध्यम से बिक्री कर सकती है। साथ ही, पहले से काम कर रही एजेंसियों को ही दो महीने का अवधि विस्तार देने पर भी विचार हो रहा है। सभी तकनीकी पहलुओं पर विचार करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
सरकार के इस फैसले पर शराब कारोबारियों की भी नजर है, क्योंकि दो महीने के लिए खुदरा बिक्री ठप होने से बड़ी राजस्व हानि हो सकती है।