नियोजन नीति पर न्यूज़ 22 स्कोप की पड़ताल

हाय-तौबा मचाने वाली पार्टियों के पास नही है नियोजन नीति की कॉपी

रांची : झारखंड में संशोधित नियोजन नीति को लेकर सियासी घमासान जारी है , सत्ता पक्ष इसे राज्य हित में बता रहा है वहीं विपक्ष उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल करने पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगा रही है और लगातार विरोध कर रही हैं. नियोजन निति को लेकर आरोप प्रत्यारोप सत्ता पक्ष और विपक्ष लगता रहा है लेकिन बड़ा सवाल ये है की क्या इस नियोजन नीति का सभी राजनीतिक दलों ने अध्ययन किया है, क्या इसकी कॉपी राजनीतिक दलों के दफ्तरों में मौजूद हैं. इसकी पड़ताल न्यूज़ 22 स्कोप की टीम ने की. सिर्फ एक ही जगह इसकी कॉपी हमारी टीम को मिली, और बाकी जगहों पर अलग-अलग दलीलें दी गयी.

हमारी टीम सबसे पहले मुख्य विपक्षी दल बीजेपी कार्यालय पहुंची और सीधे मीडिया प्रभारी से नियोजन नीति की कॉपी की मांग की. हालांकि टाल-मटोल करने के बाद सॉफ्ट कॉपी दी गयी. बीजेपी के मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने कहा उल्टा चोर कोतवाल को डांटे, सत्ता पक्ष ने  इसे जानकर उलझाया है, पुरानी नियोजन नीति को वापस लिया और नई नीति में उर्दू को क्षेत्रीय भाषा में शामिल किया गया है, हिंदी और संस्कृत को हटाया गया, नौकरी नहीं देने और युवाओं को उलझाने के लिए इस तरह के हथकंडे अपनाए रहे हैं. 

झारखंड की संशोधित नियोजन नीति को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने-सामने है। सत्ता पक्ष की ओर से हेमंत सरकार द्वारा नई नियोजन नीति का स्वागत किया जा रहा है। जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा इसका पुरजोर विरोध कर रही है।

खास बात यह है कि, जिस नियोजन नीति को लेकर पक्ष और विपक्ष आमने सामने है। उसकी गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि, पार्टी के कार्यालयों में इसकी कॉपी तक मौजूद नहीं है।

इस बाबत पूछने पर झामुमो के केंद्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि, कार्यालय में नियोजन नीति की कॉपी मौजूद नहीं है। अलबत्ता उनके आवास में इसकी कॉपी जरूर है। उन्होंने कहा कि सरकार ने इसमें संशोधन किया है। लिहाजा, फाइनल कॉपी अभी प्राप्त नहीं हुई है।

वहीं कोंग्रेस कार्यालय में भी नियोजन नीति की कॉपी नही मिली कोंग्रेस प्रवक्ता राजीव रंजन ने  इस मामले पर गोल मटोल जवाब देते हुए कहा कि हमारी सरकार झारखंड की जनता को ध्यान में रखकर काम कर रही है.

एक अदद विधायक के साथ हेमंत सोरेन सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल की हालत भी कुछ ठीक नहीं है। पार्टी के प्रदेश कार्यालय में जब नियोजन नीति की कॉपी मांगी गई तो पता चला कि, ऐसी कोई कॉपी कार्यालय में है ही नहीं। पार्टी के कार्यालय प्रभारी ने बताया कि, उनके पास नियोजन नीति की कोई कॉपी नहीं है। उन्होंने बहुत कोशिश की है कि, इसे कार्यालय में उपलब्ध कराया जाए। हालांकि झारखंड में नियोजित नीति को लेकर बवाल जारी है सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने सामने हैं.

रिपोर्ट : मदन सिंह

झारखंड नियोजन नीति 2016 को खारिज करने का हाई कोर्ट के आदेश सही-सुप्रीम कोर्ट

Share with family and friends:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *