रांची: झारखंड के विश्वविद्यालयों में अब कुलपति (Vice Chancellor) की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी। राज्यपाल को यह अधिकार नहीं रहेगा। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में गुरुवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में झारखंड राज्य विश्वविद्यालय विधेयक-2025 को मंजूरी दे दी गई है। यह विधेयक आगामी 1 अगस्त से शुरू हो रहे विधानसभा के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट सचिव वंदना दादेल ने बताया कि बैठक में कुल 21 प्रस्तावों पर मुहर लगी, जिनमें उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग का यह प्रमुख प्रस्ताव भी शामिल है। अब राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के लिए एक सिंगल अंब्रेला एक्ट बनेगा, जिसके तहत तकनीकी विश्वविद्यालय भी संचालित होंगे।
इन नियुक्तियों पर अब राज्य का नियंत्रण
नए विधेयक के तहत विश्वविद्यालयों में कुलपति (VC), प्रति-कुलपति (Pro-VC), वित्तीय सलाहकार, परीक्षा नियंत्रक, शिक्षकों और गैर-शैक्षणिक कर्मियों की नियुक्ति और प्रोन्नति का अधिकार अब राज्य सरकार के पास होगा। साथ ही, विश्वविद्यालयों एवं उनके अधीनस्थ महाविद्यालयों में पद सृजन का भी अधिकार सरकार के पास रहेगा।
इसके अलावा, एक ट्रिब्यूनल भी गठित किया जाएगा, जहां से असंतुष्ट होने पर ही कोई व्यक्ति उच्च न्यायालय का रुख कर सकेगा। यह व्यवस्था नियुक्ति, सेवा शर्तों या अन्य विवादों के त्वरित निपटारे के लिए होगी।
सीनेट और सिंडिकेट की संरचना में बदलाव
विधेयक के अनुसार सीनेट की अध्यक्षता अब या तो प्रति-कुलपति करेंगे या फिर राज्य के उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री करेंगे। वहीं, सिंडिकेट की अध्यक्षता कुलपति करेंगे।
सरकार का दावा है कि यह विधेयक राज्य के विश्वविद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता, नियुक्तियों में पारदर्शिता और प्रशासनिक सुधार लाने में सहायक होगा। हालांकि, इसे लेकर विपक्षी दल और शिक्षा जगत के कुछ विशेषज्ञ असहमति भी जता सकते हैं, क्योंकि इससे राज्यपाल की परंपरागत भूमिका सीमित हो जाएगी।
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