Saturday, August 2, 2025

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अब वे भी हुए सम्मानित जो चुपचाप शिक्षा सुधार के क्षेत्र में निभा रहे थे अहम भूमिका!

पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि उनका संकल्प सिर्फ घोषणाओं तक सीमित नहीं, बल्कि जमीनी बदलाव की मजबूत मिसाल है। शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने की दिशा में उठाए जा रहे निरंतर कदमों के तहत अब शिक्षा विभाग के सहायक कर्मियों, जैसे रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय को बढ़ाकर दोगुना कर दिया गया है। यह निर्णय सिर्फ एक प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और गरिमा को केंद्र में रखकर लिया गया फैसला भी है।

अब वे भी हुए सम्मानित जो चुपचाप शिक्षा सुधार के क्षेत्र में निभा रहे थे अहम भूमिका!

वे भी सम्मानित जो चुपचाप निभा रहे थे अहम भूमिका

गौर करने वाली बात यह कि बिहार सरकार ने 2005 से अब तक शिक्षा के बजट में 18 फीसद की बढ़ोतरी की है। मगर शिक्षा के क्षेत्र में चुपचाप अपनी भूमिका निभाने वाले अब तक वंचित से नजर आ रहे थे। मुख्‍यमंत्री ने अब मध्याह्न भोजन योजना की रीढ़ माने जाने वाले रसोइयों के मानदेय को 1650 से बढ़ाकर 3300 रुपए कर दिया है। वहीं, विद्यालय परिसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने वाले रात्रि प्रहरियों का मानदेय पांच हजार रुपए के स्थान पर 10 हजार रुपए किया गया। सीएम नीतीश ने शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशकों को भी बड़ी राहत दी है। उनका मासिक मानदेय आठ हजार रुपए से बढ़ाकर 16 हजार रुपए कर दिया है। इसके अलावा इनके वार्षिक वेतन वृद्धि को भी 200 रुपए से बढ़ाकर 400 रुपए कर दिया गया है।

काम के बदले मिला समुचित सम्मान

मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार की ओर से लिया गया यह निर्णय उन लाखों कर्मियों के मनोबल को नई ऊर्जा देगा जो शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने में भले पर्दे के पीछे हों, लेकिन उनकी भूमिका किसी भी शिक्षक या प्रशासक से कम नहीं है। मानदेय में बढ़ोतरी के बाद भोजपुर जिला के शारीरिक शिक्षक रमेश यादव का कहना है कि नीतीश कुमार का यह कदम दर्शाता है कि सरकार सिर्फ योजनाओं की घोषणा नहीं करती, बल्कि उनके पीछे खड़े लोगों को भी समान रूप से महत्व देती है।

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शिक्षा पर 18 गुना खर्च का दिख रहा परिणाम

बताते चलें कि साल 2005, जब से नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की कमान संभाली, तब राज्य का शिक्षा बजट मात्र 4366 करोड़ रुपए हुआ करता था। जो अब बढ़कर 77690 करोड़ रुपए हो गया है। यानी शिक्षा पर सरकार का खर्च करीब 18 गुना बढ़ गया। इस निवेश से विद्यालय भवनों का निर्माण, शिक्षकों की नियुक्ति और आधारभूत संरचना में सुधार संभव हुआ है। ऐसे में रसोइयों, रात्रि प्रहरियों, शारीरिक शिक्षा और स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में बढ़ोतरी बिहार की शिक्षा व्‍यवस्‍था को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाने वाला साबित हो सकता है।

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