रांची. शिशु संरक्षण दिवस के अवसर पर आज “सहभागिता: सुरक्षित शिशु अभियान” कार्यक्रम का आयोजन जिला बाल संरक्षण इकाई (DCPU), रांची द्वारा आश्रयणी फाउंडेशन (पालोना अभियान) के सहयोग से किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य नवजात शिशुओं की सुरक्षा, देखभाल और जीवन अधिकार को लेकर समाज और संस्थाओं की सामूहिक जिम्मेदारी को सशक्त बनाना था।
कार्यक्रम की थीम “नवजीवन की रक्षा, हमारी सामूहिक जिम्मेदारी” रखी गई थी। इस मौके पर शिशुओं के खिलाफ होने वाले अपराधों- जैसे परित्याग (abandonment), शिशुहत्या (infanticide), शिशु तस्करी (baby trafficking), और यौन शोषण (sexual abuse) की रोकथाम पर गहन चर्चा की गई।
पालोना अभियान के प्रयासों की सराहना
रांची जिला बाल संरक्षण अधिकारी वेद प्रकाश तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि “शिशु संरक्षण केवल सरकारी दायित्व नहीं, बल्कि सामाजिक चेतना का विषय है। जब तक समाज जागरूक नहीं होगा, तब तक इन अपराधों पर अंकुश लगाना कठिन रहेगा।” उन्होंने पालोना अभियान के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि यह पहल राज्य और देश, दोनों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकती है।
संगीता कुजारा टाक (राज्य प्रमुख, पालोना अभियान) ने अभियान के तहत की जा रही गतिविधियों- जैसे डेटा संग्रह, जनजागरूकता, मीडिया वकालत, और प्रशिक्षण पहल की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पालोना, आश्रयणी फाउंडेशन की एक सामाजिक पहल है जो शिशुहत्या और असुरक्षित परित्याग को रोकने के लिए समर्पित है।
मोनिका गुंजन आर्य ने कहा
मोनिका गुंजन आर्य, संस्थापक पालोना एवं ट्रस्टी, आश्रयणी फाउंडेशन ने अपने वक्तव्य में शिशु अपराधों के प्रकार, उनके कारणों, रिपोर्टिंग की कमी और District Child Protection Unit (DCPU) की भूमिका पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि “रांची DCPU पूरे देश के लिए एक अग्रणी मॉडल बन सकता है, यदि यहां से शिशु संरक्षण पर समर्पित प्रशिक्षण और सेंसिटाइजेशन प्रोग्राम शुरू किए जाएं।”
उन्होंने सेफ सरेंडर सिस्टम और सेफ क्रैडल पॉइंट्स की स्थापना को जन-सुलभ बनाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि कोई भी माता-पिता मजबूरी में शिशु को असुरक्षित स्थान पर छोड़ने के बजाय सुरक्षित विकल्प का उपयोग कर सकें।
कार्यक्रम में रांची जिले के सोशल वर्कर्स, आउटरीच वर्कर्स, चाइल्ड हैल्पलाइन सदस्यों ने भाग लिया। संचालन पीओएनआईसी सीमा शर्मा ने किया। आयोजन में टीम पालोना से श्वेता अग्रवाल और संगीता सिन्हा, जबकि जिला बाल संरक्षण इकाई रांची से अलका सिकंदर, पूनम प्रिया, संतोष राम, मोहन थॉमस तिग्गा, अंजलि कुमारी और शिवानी कुमार का विशेष योगदान रहा।
इस अवसर पर यह संदेश दिया गया कि रांची जिले से प्रारंभ हुई यह पहल आने वाले समय में झारखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश में शिशु संरक्षण का एक सशक्त मॉडल बन सकती है।
Highlights




































